सुप्रीम कोर्ट का आवारा मवेशियों पर सख्त आदेश, राज्यों को कार्रवाई का निर्देश
आवारा मवेशियों की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
देश में सड़कों और हाईवे पर घूमते आवारा मवेशियों की समस्या लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई है। इस मुद्दे पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्गों और सड़कों से आवारा मवेशियों को हटाकर उन्हें सुरक्षित आश्रय गृहों में रखा जाए ताकि सड़क दुर्घटनाओं और सार्वजनिक परेशानी को रोका जा सके।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और निर्देश
मौजूदा जानकारी के अनुसार, यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने उस समय की जब वह आवारा कुत्तों से जुड़े एक पुराने मामले की सुनवाई कर रही थी। न्यायालय ने कहा कि केवल कुत्ते ही नहीं, बल्कि अन्य आवारा मवेशियों को भी शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और खेल परिसरों से हटाया जाना चाहिए। अदालत ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए राज्यों को आठ हफ्तों का समय दिया है।
न्यायालय की महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ ने इस दौरान एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि जिन आवारा कुत्तों को पकड़ा गया है, उन्हें दोबारा उसी स्थान पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए जहां से उन्हें उठाया गया था। अदालत ने यह भी कहा कि न्यायमित्र द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को आदेश का हिस्सा बनाया जाएगा ताकि आगे की कार्रवाई पारदर्शी रहे।
राज्यों के लिए गश्ती दलों का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे राजमार्गों और सड़कों पर नियमित गश्त के लिए विशेष टीमों का गठन करें। इन गश्ती दलों का कार्य होगा कि वे सड़क पर दिखने वाले आवारा पशुओं को सुरक्षित रूप से पकड़कर उन्हें आश्रय गृहों में पहुंचाएं, जहां उनकी उचित देखभाल और भोजन की व्यवस्था की जा सके।
राजस्थान उच्च न्यायालय का उल्लेख
सुनवाई के दौरान अदालत ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस फैसले का भी उल्लेख किया जिसमें राज्य सरकार, नगर निगम और परिवहन विभाग के अधिकारियों को सड़कों से मवेशियों को हटाने और उन्हें पुनर्वासित करने के निर्देश दिए गए थे। सर्वोच्च न्यायालय ने उस आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि इस तरह के कदम पूरे देश में लागू किए जाने चाहिए ताकि सड़कों की सुरक्षा और स्वच्छता दोनों सुनिश्चित की जा सके।
सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या
आवारा मवेशियों के कारण देश के कई हिस्सों में आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और यातायात बाधित होता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आम नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक अहम कदम माना जा रहा है। अगली सुनवाई अब 13 जनवरी को निर्धारित की गई है, जिसमें इस मुद्दे पर हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
