सुप्रीम कोर्ट आज देगा कुत्तों के आश्रय मामले में फैसला

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
सुप्रीम कोर्ट आज उन अंतरिम याचिकाओं पर अपना निर्णय सुनाने जा रहा है, जिनमें 11 अगस्त 2025 के विवादास्पद स्वत: संज्ञान आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। यह आदेश दिल्ली और उसके चार पड़ोसी जिलों के स्थानीय निकायों को निर्देशित करता है कि वे सभी आवारा कुत्तों को छह से आठ सप्ताह के भीतर आश्रयों में कैद करें।
बेंच की सुनवाई और टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति संदीप मेहता और एन.वी. अंजरिया भी शामिल हैं, ने सुनवाई के बाद मामले को सुरक्षित रखा। बेंच ने यह भी कहा कि स्थानीय निकाय आवारा कुत्तों के कारण उत्पन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों को ठीक से नियंत्रित करने में असफल हो रहे हैं।
मामले का पुनर्नियोजन
यह स्वत: संज्ञान मामला पहले न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला के समक्ष था, लेकिन बाद में भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवाई द्वारा न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की तीन सदस्यीय बेंच को सौंपा गया। यह पुनर्नियोजन 13 अगस्त 2025 को किया गया, जब एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश को 9 मई 2024 के आदेश का उल्लेख करते हुए एक प्रतिनिधित्व दिया, जो आवारा कुत्तों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार सुनिश्चित करता है।
आदेश की विशेषताएँ
11 अगस्त 2025 के आदेश में, न्यायमूर्ति पारदीवाला और महादेवन ने दिल्ली नगर निगम और अन्य स्थानीय निकायों को निर्देश दिया कि वे सभी आवारा कुत्तों को आठ सप्ताह के भीतर पकड़ें और उन्हें विशेष आश्रयों में रखें, और उन्हें फिर से सड़कों पर न छोड़ें। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि ऐसे आश्रय स्थापित किए जाएं जो कम से कम 5,000 आवारा कुत्तों को समायोजित कर सकें।