सुपरटेक रियल्टर्स की परियोजनाओं के लिए समिति का गठन संभव

उच्चतम न्यायालय ने सुपरटेक रियल्टर्स की लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है। यह समिति बोली प्रक्रिया और सह-डेवलपर की नियुक्ति की निगरानी करेगी, जिससे घर खरीदारों के हितों की रक्षा हो सके। सुपरटेक रियल्टर्स, जो दिवाला प्रक्रिया का सामना कर रही है, नोएडा में एक विशाल परियोजना विकसित कर रही थी। जानें इस मामले में न्यायालय का क्या कहना है और आगे की प्रक्रिया क्या होगी।
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सुपरटेक रियल्टर्स की परियोजनाओं के लिए समिति का गठन संभव

उच्चतम न्यायालय का निर्णय

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सुपरटेक रियल्टर्स की लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक समिति बनाने पर विचार किया है। यह समिति बोली प्रक्रिया और सह-डेवलपर की नियुक्ति की निगरानी करेगी।


सुपरटेक रियल्टर्स की परियोजनाओं में आवासीय अपार्टमेंट, कार्यालय, खुदरा दुकानें और एक लक्जरी होटल का निर्माण शामिल है। न्यायालय का उद्देश्य एक ऐसी प्रक्रिया अपनाना है जिसमें पारदर्शिता हो, ताकि घर खरीदारों के हितों की रक्षा की जा सके।


सुपरटेक रियल्टर्स दिवाला प्रक्रिया के तहत आ चुकी रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक की सहायक कंपनी है। यह नोएडा के सेक्टर 94 में सुपरनोवा नामक एक विशाल परियोजना विकसित कर रही थी, जो 300 मीटर ऊंची और 80 मंजिला होने वाली थी। यह दिल्ली-एनसीआर की सबसे ऊंची इमारत बनती। इस परियोजना की लागत 2,326 करोड़ रुपये से अधिक थी, लेकिन कंपनी दिवालियापन की कार्रवाई का सामना कर रही है, जिससे निर्माण कार्य रुक गया है।


न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वे सुपरटेक रियल्टर्स और परमेश कंस्ट्रक्शन कंपनी के बीच हुए समझौते को मंजूरी नहीं दे सकते।


न्यायालय ने कहा, 'हमें आगे बढ़ना होगा। हम एक समिति बना सकते हैं जो नए डेवलपर के चयन के लिए बोली प्रक्रिया की निगरानी करेगी। इससे कार्य में पारदर्शिता बनी रहेगी।' न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि परमेश कंस्ट्रक्शन कंपनी समेत कोई भी कंपनी इस बोली प्रक्रिया में भाग ले सकती है।