सुकमा में पूर्व मंत्री के प्रभाव से सहायक संचालक का तबादला रुका

सुकमा में सहायक संचालक का तबादला न होने की कहानी
जगदलपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के शासन में भी पूर्व मंत्री का प्रभाव सुकमा जिले में बना हुआ है। इसका एक ताजा उदाहरण यह है कि पूर्व मंत्री के करीबी सहायक संचालक, जो उद्योग एवं वाणिज्य विभाग में कार्यरत हैं, का तबादला बलरामपुर किया गया है। हालांकि, आदेश जारी होने के 20 दिन बाद भी वह अपनी कुर्सी पर बने हुए हैं और निर्माण कार्यों से संबंधित बैठकों का संचालन कर रहे हैं।
इन बैठकों में उनकी अच्छी खातिरदारी भी की जा रही है। चर्चा है कि सुकमा जिला प्रशासन अभी भी पूर्व मंत्री के प्रभाव से उबर नहीं पाया है, जिससे सहायक संचालक को रिलीव करने में प्रशासन को कठिनाई हो रही है।
बस्तर संभाग के सुकमा में वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सहायक संचालक पर जिला प्रशासन की मेहरबानी इस कदर है कि तबादला आदेश के 20 दिन बाद भी उन्हें रिलीव नहीं किया जा सका है। विभागीय सचिव के आदेशों की अनदेखी करते हुए, सहायक संचालक कोंटा में कर्मचारियों की बैठक कर निर्माण कार्यों की जानकारी ले रहे हैं।
पूर्व मंत्री के करीबी माने जाने वाले इस अधिकारी की आवभगत में जनपद सीईओ और बीईओ भी शामिल रहे हैं। कोंटा के प्रभारी सीईओ रहते हुए, सहायक संचालक पर वर्ष 2021 से 2023 तक अमृत सरोवर रीपा योजना और हैंडपंप सहित अन्य योजनाओं में बंदरबांट के आरोप भी लगे हैं।
छत्तीसगढ़ शासन के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग ने 19 मई को सहायक संचालक कैलाश कश्यप का तबादला बलरामपुर के लिए किया था। संचालनालय ने उन्हें नई पदस्थापना पर कार्यभार ग्रहण करने के लिए भी भारमुक्त कर दिया था।
आदेश में यह स्पष्ट किया गया था कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। ज्ञात हो कि सहायक संचालक का तबादला आदेश 19 मई को वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव उमेश पटेल द्वारा जारी किया गया था। इस आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि उन्हें सुकमा जिले से भारमुक्त करते हुए बलरामपुर में ज्वाइनिंग लेने का निर्देश दिया गया था।
आदेश जारी होने के 20 दिनों बाद भी विभागीय सचिव के निर्देशों का पालन नहीं हो सका है। इससे यह स्पष्ट होता है कि पूर्व मंत्री के करीबी अधिकारी की पकड़ कितनी मजबूत है, जिससे जिले के जिम्मेदार अधिकारी भी शासन के आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं।
दहशत का माहौल बनाना
कश्यप की जगह सूर्यप्रकाश रावटे को सुकमा उद्योग विभाग के सहायक संचालक के रूप में भेजा गया है। सूत्रों के अनुसार, सुकमा में अधिकारी अपनी जगह से हटने को तैयार नहीं हैं और नए अधिकारियों को नक्सलियों के डर से यहां आने से रोकने के लिए कई उपाय कर रहे हैं।
सहायक संचालक के तबादले में कुछ ऐसा ही खेल चल रहा है, जिससे नए अधिकारी को सुकमा आने से रोका जा रहा है। सहायक संचालक कश्यप रिलीवर न आने का हवाला देकर अपनी जगह पर बने हुए हैं और कोंटा में नियद नेल्लानार योजना के तहत बैठक कर यह भ्रम फैला रहे हैं कि उनका तबादला रोक दिया गया है।