सीमांचल के गांधी की विरासत: तस्लीमुद्दीन के बेटों के बीच चुनावी संघर्ष

सीमांचल के गांधी तस्लीमुद्दीन की राजनीतिक विरासत को लेकर उनके बेटों सरफराज और शहनवाज के बीच चुनावी संघर्ष तेज हो गया है। परिवार में मतभेद और जनता की राय इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना रही है। जानें इस क्षेत्र की राजनीति में कौन बनेगा असली वारिस और तस्लीमुद्दीन के सपनों को पूरा करने की कोशिश कौन करेगा।
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सीमांचल के गांधी की विरासत: तस्लीमुद्दीन के बेटों के बीच चुनावी संघर्ष

तस्लीमुद्दीन की राजनीतिक विरासत

सीमांचल के गांधी की विरासत: तस्लीमुद्दीन के बेटों के बीच चुनावी संघर्ष

सीमांचल के गांधी कहे जाने वाले तस्लीमुद्दीन.


सीमांचल में तस्लीमुद्दीन साहेब का नाम एक समय में बहुत प्रभावशाली था। उन्हें इस क्षेत्र का गांधी माना जाता है। उनके निधन के बाद, उनके बेटों के बीच उनकी विरासत को संभालने को लेकर राजनीतिक दलों और परिवार के भीतर बहस चल रही है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में यह दावा किया है कि तस्लीमुद्दीन का असली वारिस उनका बेटा सरफराज है।


जोकीहाट सीट पर अब तक सभी विधायक मुस्लिम रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव भी इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान आए और कहा कि यह केवल एक साधारण चुनाव नहीं है, बल्कि सरकार बनाने की लड़ाई है। इस स्थिति में सवाल उठता है कि तस्लीमुद्दीन का असली वारिस कौन है।


परिवार में मतभेद

बेटे मेरी बात नहीं मानते


तस्लीमुद्दीन की पत्नी हजातुल ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहा कि उन्होंने अपने दोनों बेटों को समझाने की कोशिश की, लेकिन आजकल के बच्चे अपने माता-पिता की बात नहीं मानते। उन्होंने सरफराज से कहा कि वह अररिया से चुनाव लड़ें, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं मानी। तस्लीमुद्दीन के सेवक दरूजुआ ने कहा कि साहेब पहले मामलों को आसानी से सुलझा लेते थे, लेकिन अब लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है।


सरफराज का चुनावी इरादा

तस्लीमुद्दीन के सपनों को पूरा करना है जरूरी


सरफराज ने कहा कि उनके पिता ने इस क्षेत्र के लिए जो सपने देखे थे, वे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। वह चुनाव लड़कर उन सपनों को साकार करना चाहते हैं।


शहनवाज का विकास कार्य

मैंने भी काम किया है – शहनवाज


जोकीहाट के विधायक और तस्लीमुद्दीन के छोटे बेटे शहनवाज ने कहा कि विकास एक निरंतर प्रक्रिया है और उन्होंने इस क्षेत्र में कई काम किए हैं। उन्होंने अपने बड़े भाई के बारे में कुछ भी कहने से इनकार किया।


जनता की राय

जनता में उहापोह


जोकिहाट के हवड़ा चौक पर मोहम्मद शमशाद ने कहा कि उन्हें तस्लीमुद्दीन का समय याद है और यह तय करना मुश्किल है कि किस बेटे को चुना जाए। असगर आलम ने कहा कि दोनों भाई उनके लिए समान हैं।


जोकिहाट का महत्व

जोकिहाट क्यों है महत्वपूर्ण


अररिया जिले के जोकिहाट में लगभग 65 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। तस्लीमुद्दीन की राजनीतिक विरासत को लेकर उनके बेटे सरफराज और शाहनवाज आमने-सामने हैं। शाहनवाज राजद से विधायक हैं, जबकि सरफराज ने जन सुराज पार्टी जॉइन की है।


भाई-भाई की लड़ाई

भाई-भाई की लड़ाई


तस्लीमुद्दीन के परिवार में टकराव 2020 के विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ, जब शाहनवाज ने अपने बड़े भाई सरफराज को हराया। यह सीट 1967 से अस्तित्व में है और तस्लीमुद्दीन और उनके बेटों का यहां दबदबा रहा है।