सीबीआई ने दिल्ली के अपार्टमेंट निर्माण में गुणवत्ता से समझौता करने पर प्राथमिकी दर्ज की

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली में 'सिग्नेचर व्यू' अपार्टमेंट के निर्माण में गुणवत्ता से समझौता करने के आरोप में 28 सेवानिवृत्त अधिकारियों और दो ठेकेदारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर गुणवत्ता नियंत्रण को नजरअंदाज किया, जिससे निर्माण के 10 साल के भीतर ही इमारतें असुरक्षित घोषित हो गईं। आईआईटी-दिल्ली द्वारा किए गए अध्ययन में भी इमारतों को संरचनात्मक रूप से असुरक्षित पाया गया है।
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सीबीआई ने दिल्ली के अपार्टमेंट निर्माण में गुणवत्ता से समझौता करने पर प्राथमिकी दर्ज की

सीबीआई की कार्रवाई

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली में 'सिग्नेचर व्यू' अपार्टमेंट के निर्माण में गुणवत्ता और संरचनात्मक सुरक्षा से समझौता करने के आरोप में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के 28 सेवानिवृत्त अधिकारियों और दो निजी ठेकेदारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।


सूत्रों के अनुसार, इस प्राथमिकी में 'भारत टेस्ट हाउस' और 'दिल्ली टेस्ट हाउस' जैसी परीक्षण एजेंसियों के साथ-साथ 'विनर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड' और 'ग्रोवर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड' के ठेकेदारों का भी नाम शामिल है। ये सभी 2007-09 के बीच मुखर्जी नगर में 336 एचआईजी और एमआईजी फ्लैटों वाले अपार्टमेंट परिसर के निर्माण के लिए जिम्मेदार थे।


प्राथमिकी में कहा गया है कि डीडीए के सरकारी कर्मियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर एक षडयंत्र रचा और अनुबंध तथा सीपीडब्ल्यूडी मैनुअल में गुणवत्ता नियंत्रण को नजरअंदाज किया, जिससे निर्माण के दौरान गुणवत्ता और संरचनात्मक सुरक्षा आवश्यकताओं का उल्लंघन हुआ।


इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि घटिया निर्माण और सामग्री के कारण, निर्माण के 10 साल के भीतर ही इमारतों को रहने के लिए असुरक्षित घोषित कर दिया गया, जिससे डीडीए को 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और अधिकारियों को अनुचित लाभ मिला।


वर्ष 2011-2012 में इन भवनों को निवासियों को आवंटित किया गया था, लेकिन निर्माण संबंधी समस्याओं के कारण उन्हें डीडीए से संपर्क करना पड़ा।


डीडीए के आदेश पर आईआईटी-दिल्ली द्वारा 2021-2022 में किए गए अध्ययन में इमारतों को संरचनात्मक रूप से असुरक्षित पाया गया और सिफारिश की गई कि इन्हें तुरंत खाली कराकर ध्वस्त किया जाए।