सीबीआई ने उन्नाव बलात्कार मामले में सेंगर की सजा को चुनौती देने का निर्णय लिया

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्नाव बलात्कार मामले में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा के निलंबन को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय लिया है। उच्च न्यायालय ने सेंगर को जमानत दी है, लेकिन वह अन्य मामले में जेल में रहेगा। सीबीआई ने इस निर्णय का विरोध किया है और जल्द ही उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने की योजना बना रही है।
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सीबीआई ने उन्नाव बलात्कार मामले में सेंगर की सजा को चुनौती देने का निर्णय लिया

सीबीआई का उच्चतम न्यायालय में जाने का निर्णय

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्नाव बलात्कार मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा के निलंबन और जमानत के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय लिया है। यह जानकारी अधिकारियों ने बुधवार को साझा की।


उच्च न्यायालय के आदेशों का अध्ययन

अधिकारियों के अनुसार, 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों का गहन अध्ययन करने के बाद यह कदम उठाया गया। सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेशों के खिलाफ शीघ्र ही उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने का निर्णय लिया गया है।


सेंगर की जमानत और जेल में स्थिति

उच्च न्यायालय ने सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उसे जमानत दी है, लेकिन वह जेल में ही रहेगा। इसका कारण यह है कि वह बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत से संबंधित मामले में 10 साल की सजा भी काट रहा है।


सेंगर की अपील और सीबीआई का विरोध

सेंगर ने अपनी उम्रकैद की सजा के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसका सीबीआई और पीड़िता के परिवार ने उच्च न्यायालय में कड़ा विरोध किया। केंद्रीय एजेंसी ने इस मामले में समय पर जवाब और लिखित दलीलें प्रस्तुत कीं। पीड़िता के परिवार ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए सेंगर की याचिका का विरोध किया। सीबीआई जल्द ही इस आदेश को चुनौती देने की योजना बना रही है।


उच्च न्यायालय का निर्णय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उन्नाव बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सेंगर की सजा को निलंबित कर दिया। अदालत ने कहा कि सेंगर पहले ही सात साल और पांच महीने जेल में बिता चुका है।


सेंगर का अपहरण और बलात्कार मामला

सेंगर पर आरोप है कि उसने 2017 में एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया। उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त 2019 के निर्देश के अनुसार, इस मामले को उत्तर प्रदेश की एक निचली अदालत से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था।