सीबीआई ने अमेरिका में गिरफ्तार मोनिका कपूर को भारत लाने की प्रक्रिया शुरू की

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अमेरिका में वांछित आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर को गिरफ्तार कर लिया है। वह 25 वर्षों से फरार थी और अब उसे भारत लाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस मामले में कपूर पर आरोप है कि उसने अपने भाइयों के साथ मिलकर जाली दस्तावेजों के जरिए भारत सरकार से कच्चे माल का शुल्क मुक्त आयात करने का प्रयास किया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और सीबीआई की कार्रवाई के बारे में।
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सीबीआई ने अमेरिका में गिरफ्तार मोनिका कपूर को भारत लाने की प्रक्रिया शुरू की

मोनिका कपूर की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल करते हुए, करोड़ों रुपये के वित्तीय धोखाधड़ी मामले में वांछित आरोपी मोनिका कपूर को हिरासत में लिया है। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, मोनिका कपूर को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था और अब वह सीबीआई की हिरासत में है, जो अमेरिकी अधिकारियों के साथ समन्वय के बाद संभव हुआ।


सीबीआई ने बताया कि मोनिका कपूर का प्रत्यर्पण अमेरिका से किया जा रहा है। अधिकारियों ने बुधवार को इस बात की पुष्टि की। जानकारी के अनुसार, कपूर पिछले 25 वर्षों से फरार थी। सीबीआई ने उसे अमेरिका में हिरासत में लिया है और वह अमेरिकन एयरलाइंस के विमान से भारत लौट रही है, जो बुधवार रात को भारत पहुंचने की संभावना है।


‘यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट फॉर द ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयॉर्क’ ने भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत कपूर के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। विदेश मंत्री ने कपूर के इस दावे को खारिज कर दिया था कि भारत लौटने पर उसे प्रताड़ित किया जाएगा, और उसके खिलाफ आत्मसमर्पण वारंट जारी किया गया था। कपूर ने 1999 में कथित धोखाधड़ी के बाद अमेरिका में शरण ली थी.


धोखाधड़ी का मामला और उसके परिणाम

इस धोखाधड़ी के मामले में मोनिका कपूर ने अपने दो भाइयों के साथ मिलकर आभूषण व्यवसाय के लिए जाली दस्तावेज तैयार किए। इन दस्तावेजों का उपयोग कथित तौर पर भारत सरकार से कच्चे माल को शुल्क मुक्त आयात करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए किया गया था।


इस धोखाधड़ी के कारण भारतीय खजाने को 6,79,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ। अधिकारियों ने बताया कि भारत ने अक्टूबर 2010 में कपूर के प्रत्यर्पण की मांग करते हुए अमेरिका से संपर्क किया था, जो दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के अनुसार किया गया था.