सीपी राधाकृष्णन: उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा का नया चेहरा
भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन का चयन किया है, जो जगदीप धनखड़ के विपरीत एक शांत और समावेशी नेता माने जाते हैं। उनकी उम्मीदवारी ने विपक्ष से भी सराहना प्राप्त की है। राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर और उनकी छवि भाजपा की नई रणनीति का हिस्सा है, जो दक्षिण भारत में पार्टी के विस्तार को दर्शाती है। जानें उनके अनुभव और राजनीतिक दृष्टिकोण के बारे में।
Aug 18, 2025, 11:37 IST
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भाजपा का नया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार
उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा ने जगदीप धनखड़ के कार्यकाल (2022-24) के बाद एक ऐसे नेता का चयन किया है, जिनकी छवि पूरी तरह से अलग है। जबकि धनखड़ को विपक्ष ने आक्रामक और टकरावकारी उपराष्ट्रपति के रूप में देखा, वहीं सीपी राधाकृष्णन को एक शांत, समावेशी और संतुलित नेता के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद विपक्ष के नेताओं ने उनके संयमित रवैये और विवाद से दूर रहने की छवि की प्रशंसा की है, जो यह दर्शाता है कि एनडीए ने एक सही निर्णय लिया है।
उपराष्ट्रपति की भूमिका
भारत के उपराष्ट्रपति पद को परंपरागत रूप से एक संवैधानिक संतुलनकारी भूमिका माना जाता है। राज्यसभा के सभापति के रूप में, यह पद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संवाद का माध्यम होना चाहिए। हाल के वर्षों में, यह पद राजनीतिक बहसों का केंद्र भी बना रहा है। इस संदर्भ में, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और सीपी राधाकृष्णन की तुलना महत्वपूर्ण है। धनखड़, जो पेशे से वकील हैं, का कार्यकाल विवादों से भरा रहा, जबकि राधाकृष्णन की कार्यशैली संतुलित और संवादपरक रही है।
सीपी राधाकृष्णन की छवि
सीपी राधाकृष्णन की कार्यशैली में संतुलन और संवाद की विशेषता रही है। महाराष्ट्र और झारखंड के राज्यपाल रहते हुए, उन्होंने किसी बड़े विवाद में भाग नहीं लिया। उनकी छवि एक समावेशी नेता की है, जो विभिन्न राजनीतिक दलों में सम्मान पाते हैं। इसके विपरीत, धनखड़ अक्सर संसद में विपक्ष के नेताओं के साथ तीखी बहस में उलझते रहे हैं। राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर यह दर्शाता है कि वह संवाद और सहमति में विश्वास रखते हैं।
भाजपा की रणनीति
भाजपा ने धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर जाट समाज को साधने का संदेश दिया था, जबकि राधाकृष्णन की नियुक्ति दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार की योजना को दर्शाती है। तमिलनाडु की राजनीति में, राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना भाजपा के लिए कई स्तरों पर फायदेमंद हो सकता है। यह ओबीसी समुदाय को भाजपा के प्रति आकर्षित करने का एक प्रयास है।
राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर 16 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़ने के साथ शुरू हुआ। उन्होंने 1990 के दशक में कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीते और उन्हें 'तमिलनाडु का मोदी' कहा जाता है। राधाकृष्णन ने 31 जुलाई, 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली।
शिक्षा और अनुभव
तमिलनाडु के तिरुपुर में जन्मे राधाकृष्णन के पास व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक की डिग्री है। उन्होंने भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी में भी कार्य किया और 1998 में कोयंबटूर से लोकसभा के लिए चुने गए।