सीतापुर में सहायक अध्यापक की दुखद कहानी: पत्नी ने मांगी 25 लाख की मांग

दिव्यांग सहायक अध्यापक की त्रासदी
सीतापुर के एक सहायक अध्यापक, जो एक पैर से दिव्यांग थे, ने लक्ष्मी कुशवाहा से शादी की थी, यह सोचकर कि इससे उन्हें सहारा मिलेगा और एक परिवार का भला होगा। लेकिन शादी के बाद उनके सपने चूर-चूर हो गए। उनकी पत्नी लक्ष्मी उनके लिए एक बाधा बन गई।
कोविद के पिता चंद्रिका प्रसाद के अनुसार, शादी के कुछ महीनों बाद ही लक्ष्मी का पूरा परिवार सीतापुर चला गया। लक्ष्मी की मां भी अक्सर आती थीं और कोविद पर खर्चा करने का दबाव डालती थीं। लक्ष्मी ने महंगे गहने बनवाए और उसके परिवार के लोग कोविद को अलग रहने के लिए मजबूर करते थे।
कोविद की मौत के दिन, उसने अपने पिता को फोन किया और बताया कि लक्ष्मी और उसके परिवार ने मुकदमे में सुलह के लिए 25 लाख रुपये की मांग की है। यह बात उसे बहुत परेशान कर रही थी। सीतापुर से 500 किमी दूर जाकर कोर्ट में मुकदमा लड़ने में काफी खर्चा होता था।
जब सुलह की बात आई, तो लक्ष्मी ने 25 लाख रुपये की मांग की। यह सुनकर कोविद को गहरा सदमा लगा। उसने लक्ष्मी को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी। लक्ष्मी की मां भी उसे प्रताड़ित करती रही।
इससे तंग आकर कोविद ने आत्महत्या का रास्ता चुना। मरने से पहले उसने 23 सेकंड की एक वीडियो बनाई, जिसमें उसने बताया कि उसकी पत्नी और सास उसे झूठे मुकदमे में फंसाकर प्रताड़ित कर रही हैं।
चंद्रिका प्रसाद के बेटे कोविद (42) सहायक अध्यापक थे और एक पैर से दिव्यांग थे। चंद्रिका ने बताया कि लखनऊ में रहने वाले एक रिटायर्ड फौजी ने लक्ष्मी के परिवार के बारे में जानकारी दी थी।
उन्होंने कहा कि लक्ष्मी के चार बहनें और तीन भाई हैं, और पूरा परिवार कांशीराम गरीब शहरी आवास योजना में रहता है। चंद्रिका ने बेटे की शादी 18 जनवरी 2023 को लक्ष्मी के साथ कराई, लेकिन लक्ष्मी और उसकी मां की नजर कोविद के वेतन पर लग गई।
कोविद ने अपनी पत्नी और सास को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे नहीं मानीं। मां-बेटी ने कई बार उसे अपमानित किया और आरोप है कि गाजीपुर में उसके खिलाफ फर्जी केस भी दर्ज कराया गया।
लक्ष्मी शादी के बाद कभी अपने भाई को तो कभी बहन को सीतापुर ले जाती थी। कई बार पूरा परिवार उसके साथ आता था और कोविद के पैसे का इस्तेमाल करता था। लक्ष्मी ने कोर्ट में बयान दिया था कि ससुराल में उसका अच्छा व्यवहार रहा है।
कोविद को कोर्ट में जाना था और पत्नी को गवाही देनी थी, लेकिन अंतिम समय में लक्ष्मी मायके जाने लगी। उसने जमानत के लिए 25 लाख रुपये की मांग की। जब कोविद ने कहा कि वह इतना पैसा नहीं दे सकता, तो लक्ष्मी ने कहा, 'मर जाओगे तो मुझे नौकरी मिल जाएगी।'