सीए टॉपर मुकुंद आगीवाल की सफलता की कहानी: मेहनत और समर्पण का फल
सीए टॉपर मुकुंद आगीवाल का प्रेरणादायक सफर
सीए टॉपर मुकुंद आगीवाल इंटरव्यू
मध्य प्रदेश के धार जिले के धामनोद कस्बे के 21 वर्षीय मुकुंद आगीवाल ने चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) फाइनल परीक्षा में ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक हासिल कर नया इतिहास रच दिया है. मुकुंद ने 600 में से 500 अंक प्राप्त कर पूरे देश में अपना नाम रोशन किया. एक मीडिया चैनल के साथ इंटरव्यू में उन्होंने अपनी सफलता के पीछे की मेहनत, संघर्ष और रणनीति शेयर की. मुकुंद का मानना है कि छोटे शहरों के युवाओं के लिए सीमाएं नहीं होतीं, बस लक्ष्य स्पष्ट और लगातार प्रयास होना चाहिए.
कड़ी मेहनत और समर्पण से रचा इतिहास
मुकुंद आगीवाल ने जो उपलब्धि हासिल की है, वह लाखों विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा है. सीए जैसी कठिन परीक्षा में देशभर में पहला स्थान हासिल करना कोई आसान बात नहीं होती. मुकुंद ने बताया कि उनका सपना हमेशा से सीए बनने का था और जब रिजल्ट घोषित हुआ तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि वो देश में पहल स्थान प्राप्त करेंगे. परिवार और दोस्तों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इतना ही नहीं, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) के अध्यक्ष ने फोन कर खुद उन्हें बधाई दी.
हर दिन 12-13 घंटे की पढ़ाई और दो बार रिवीजन
मुकुंद ने बताया कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, उन्होंने अपनी तैयारी में हर विषय को पूरी निष्ठा से पढ़ा. उनका सिद्धांत था कि क्वालिटी ऑफ स्टडी क्वांटिटी से ज्यादा मायने रखती है. वो रोजाना 12 से 13 घंटे तक पढ़ाई करते थे. अगर किसी दिन का टारगेट पूरा नहीं हो पाता तो वो अगले दिन उसे पूरा करते थे. सीए फाइनल परीक्षा 3 सितंबर से 14 सितंबर के बीच हुई थी. मुकुंद ने बताया कि परीक्षा से पहले उन्हें लगभग साढ़े चार महीने का समय मिला, जिसमें उन्होंने दो बार पूरा सिलेबस रिवाइज किया. उनका ध्यान केवल कॉन्सेप्ट समझने और आत्मविश्वास बढ़ाने पर था.
टाइम मैनेजमेंट और फोकस से मिली सफलता
मुकुंद ने कहा कि सीए परीक्षा में सबसे बड़ी चुनौती समय का सही मैनेजमेंट है, उन्होंने हर दिन के लिए टारगेट तय किए और उसी के अनुसार तैयारी की. वो सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक पढ़ाई को प्राथमिकता देते थे क्योंकि उस समय दिमाग सबसे ताजा रहता है. उन्होंने बताया कि लंबे समय तक लगातार पढ़ाई करने के बीच वो रिलैक्स करने के लिए म्यूजिक सुनते थे और क्रिकेट देखना पसंद करते थे. खेलों से उन्हें नई एनर्जी और फोकस करने की प्रेरणा मिलती थी.
मुश्किल समय में धैर्य और आत्मविश्वास ने दिया साथ
मुकुंद ने बताया कि एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें लगा कि वो परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे. नवंबर में होने वाली परीक्षा सितंबर में शिफ्ट हो गई, जिससे तैयारी का समय कम हो गया था. एक विषय की तैयारी उन्हें खुद से करनी पड़ी, जो बेहद कठिन था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और रणनीति बनाकर पढ़ाई जारी रखी. धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ा और वो इस चुनौती को पार कर गए.
परिवार बना प्रेरणा का सबसे बड़ा स्तंभ
मुकुंद ने बताया कि उनके परिवार में दो लोग पहले से ही सीए हैं, जिन्होंने हर कदम पर उनका मार्गदर्शन किया, लेकिन असली प्रेरणा उनके माता-पिता हैं, जिन्होंने हमेशा उन पर भरोसा किया. मुकुंद कहते हैं कि वो अपने माता-पिता को वह सम्मान और खुशी देना चाहते हैं जिसके वो हकदार हैं. उन्होंने बताया कि जब वो तनाव में होते थे तो माता-पिता से बात करते थे. माता-पिता उन्हें ध्यान से सुनते और समाधान बताते, जिससे उन्हें मानसिक सुकून और आत्मबल मिलता.
भविष्य की दिशा और युवाओं के लिए संदेश
मुकुंद फिलहाल जॉब करने की योजना बना रहे हैं, हालांकि उन्होंने अभी तय नहीं किया है कि किस फर्म या सेक्टर में जाएंगे. वो फिलहाल विभिन्न अवसरों को एक्सप्लोर कर रहे हैं. युवाओं के लिए उनका संदेश है कि जो आपका लक्ष्य है, उसी पर फोकस करें. सोशल मीडिया और अन्य डिस्ट्रैक्शन से बचें. शांत मन से पढ़ाई करें और खुद पर भरोसा रखें. उनका मानना है कि शहर छोटा या बड़ा नहीं होता, सपने और मेहनत बड़े होने चाहिए. अगर आप अपने लक्ष्य को पहचानते हैं और पूरी लगन से प्रयास करते हैं, तो सफलता निश्चित है.
स्मार्ट स्टडी और हार्ड वर्क का सही संतुलन
मुकुंद का मानना है कि सीए जैसी परीक्षा में केवल मेहनत ही नहीं, समझदारी से पढ़ाई करना भी जरूरी है, उन्होंने कहा कि स्मार्ट स्टडी और हार्ड वर्क का कॉम्बिनेशन ही सफलता की कुंजी है, उन्होंने बताया कि वो अक्सर भजन सुनते थे जिससे मन को शांति मिलती थी और पढ़ाई पर ध्यान फोकस करने में मदद मिलती थी.
सफलता की असली परिभाषा
मुकुंद ने कहा कि मेरे लिए सफलता का अर्थ है अपने माता-पिता और परिवार को खुश देखना. उनकी यह सोच और सादगी इस बात का सबूत है कि सच्ची सफलता केवल ऊंचे अंक या रैंक से नहीं, बल्कि अपने सपनों को साकार कर अपने प्रियजनों को गर्व महसूस कराने में है.
मुकुंद आगीवाल की कहानी सिर्फ एक विद्यार्थी की सफलता नहीं, बल्कि यह संदेश है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो और मेहनत सच्ची हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती. छोटे शहर से निकलकर देश में पहला स्थान पाना यह साबित करता है कि सपना चाहे जितना बड़ा हो, मेहनत और समर्पण से उसे हासिल किया जा सकता है.
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