सिद्धरमैया ने संविधान विरोधी मनुवादियों की पहचान करने का किया आह्वान
संविधान दिवस समारोह में मुख्यमंत्री का संबोधन
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बुधवार को नागरिकों से अपील की कि वे उन 'संविधान विरोधी मनुवादियों' की पहचान करें, जो संविधान के स्थान पर मनुस्मृति को प्राथमिकता देते हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि डॉ. बी.आर. आंबेडकर के संविधान के लागू होने से पहले देश में एक 'अलिखित मनुस्मृति' का शासन था। यह बयान उन्होंने 'संविधान दिवस समारोह - 2025' के उद्घाटन के दौरान दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा, 'मनुस्मृति में वर्णित मानव-विरोधी और समानता-विरोधी नियमों का आंबेडकर के संविधान में कोई स्थान नहीं है। इसलिए मनुवादी हमारे संविधान का विरोध करते हैं।'
सिद्धरमैया ने बताया कि मनुवादी वे लोग हैं जो 'मनुस्मृति' (हिंदू परंपरा पर आधारित प्राचीन भारतीय ग्रंथ) में विश्वास रखते हैं। उन्होंने कहा कि समान समाज का निर्माण और असमानता का उन्मूलन हमारे संविधान और आंबेडकर की आकांक्षा है।
उन्होंने उपस्थित लोगों को याद दिलाया कि 'हम भारत के लोग' संविधान का मूल मंत्र है। आंबेडकर के संविधान के निर्माण में योगदान पर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए, सिद्धरमैया ने कहा कि जाति व्यवस्था और इसके खतरों की गहरी समझ ने आंबेडकर को आरक्षण का प्रावधान शामिल करने के लिए प्रेरित किया।
मुख्यमंत्री ने यह भी व्यक्त किया कि स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के संवैधानिक आदर्शों के बावजूद, आजादी के कई वर्षों बाद भी ये आकांक्षाएं अधूरी हैं। उन्होंने कहा कि बसवन्ना जैसे सुधारकों द्वारा जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ने के बावजूद, उच्च जाति के लोग जाति से मुक्त नहीं हो रहे हैं। सिद्धरमैया ने कहा कि जाति तभी कमजोर होगी जब निचली जातियां आर्थिक शक्ति प्राप्त करेंगी।
