सावन में रुद्राक्ष धारण करने के नियम और महत्व

सावन का महत्व
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है, जिसमें उनकी विशेष पूजा की जाती है। इस दौरान, भक्त सच्ची श्रद्धा से भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं, जिससे वे प्रसन्न होकर भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं। भक्त सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न उपाय करते हैं, जिनमें से एक रुद्राक्ष धारण करना है।
रुद्राक्ष का महत्व
हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रिय माना जाता है। इसे धारण करने से भक्तों पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ है, जिससे इसे चमत्कारी माना जाता है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने तपस्या के बाद अपनी आंखें खोलीं, तब उनके आंसुओं से रुद्राक्ष का जन्म हुआ।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने के कुछ महत्वपूर्ण नियम हैं।
1. सोमवार या सावन शिवरात्रि को रुद्राक्ष की माला पहनना सबसे शुभ माना जाता है। माला में कम से कम 27 मनके होने चाहिए। इसे पहनने से पहले लाल कपड़े पर रखकर मंदिर में ओम नमः शिवाय का जाप करें।
2. रुद्राक्ष की माला को गंगाजल से पवित्र करें। यदि आप किसी संकल्प के लिए इसे धारण कर रहे हैं, तो पहले गंगाजल लेकर संकल्प लें और फिर इसे धोकर पहनें।
3. रुद्राक्ष की माला पहनने के लिए पीले या लाल धागे का उपयोग करें।
4. रुद्राक्ष को स्नान के बाद ही पहनें और सोने से पहले इसे पवित्र स्थान पर रख दें।