सावन 2025: शिवलिंग स्थापना के नियम और विधि जानें

सावन का महत्व और शिवलिंग की स्थापना
सावन 2025: शिवलिंग की स्थापना से मिलेगी विशेष कृपा — सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान भक्त उनकी कृपा पाने के लिए कई उपाय करते हैं, जिनमें घर में शिवलिंग स्थापित करना एक महत्वपूर्ण उपाय है। हालांकि, शिवलिंग की स्थापना के लिए कुछ विशेष नियम और विधियों का पालन करना आवश्यक है। यदि आप इस सावन अपने घर में शिवलिंग लाने की योजना बना रहे हैं, तो इन नियमों को जानना जरूरी है।
शिवलिंग की स्थापना का महत्व — घर में शिवलिंग की स्थापना से न केवल धार्मिक लाभ होता है, बल्कि यह घर में सुख, शांति और समृद्धि भी लाता है। यह माना जाता है कि नियमित पूजा से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। शिवलिंग नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता का संचार करता है।
शिवलिंग के प्रकार और उनका महत्व — पार्थिव शिवलिंग मिट्टी से बने होते हैं और इनकी पूजा सावन में विशेष रूप से की जाती है। पारद शिवलिंग को सबसे शक्तिशाली माना जाता है, जबकि स्फटिक शिवलिंग मानसिक शांति और एकाग्रता प्रदान करता है। धातु (जैसे तांबा, पीतल) से बने शिवलिंग भी घर में रखे जा सकते हैं। ध्यान रखें कि शिवलिंग का आकार बहुत बड़ा न हो — अंगूठे के ऊपरी पोर के आकार का शिवलिंग सबसे उपयुक्त होता है। इसके अलावा, घर में एक से अधिक शिवलिंग नहीं रखने चाहिए।
शिवलिंग की स्थापना की दिशा और स्थिति — शिवलिंग को ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में स्थापित करना सबसे शुभ माना जाता है। जलहरी का मुख उत्तर दिशा में होना चाहिए और भक्त को पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पूजा करनी चाहिए, ताकि अभिषेक का जल सही दिशा में प्रवाहित हो।
शिवलिंग स्थापना की विधि — सबसे पहले, घर के किसी शांत और पवित्र स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। वहां एक चौकी रखें और उस पर लाल या पीले कपड़े का वस्त्र बिछाएं। फिर शिवलिंग को "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते हुए स्थापित करें। जलहरी उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए। स्थापना के बाद प्राण प्रतिष्ठा करें। यदि आप स्वयं नहीं कर सकते, तो किसी योग्य पंडित से करवाएं।
शिवलिंग पूजा के नियम — शिवलिंग का प्रतिदिन जल, दूध, दही, शहद, घी और गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। पूजा स्थल की साफ-सफाई का ध्यान रखें। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, शमी पत्र अर्पित करें। प्रसाद में फल, मिठाई या पंचामृत अर्पित करें। "ॐ नमः शिवाय" या महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जाप करें। ध्यान रखें, शिव पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है।