साबरमती जेल में आतंकी अहमद सईद पर हमला: तीन कैदियों ने की पिटाई

गुजरात के साबरमती जेल में आतंकवादी अहमद सईद पर तीन अन्य कैदियों ने हमला किया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं। घटना सुबह 7 बजे हुई, जब हमलावरों ने उसे बुरी तरह पीटा। गुजरात पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है और डीजीपी ने पिछले 30 वर्षों में राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल आरोपियों की जांच का आदेश दिया है। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।
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साबरमती जेल में आतंकी अहमद सईद पर हमला: तीन कैदियों ने की पिटाई

साबरमती जेल में हमले की घटना

साबरमती जेल में आतंकी अहमद सईद पर हमला: तीन कैदियों ने की पिटाई

साबरमती जेल

गुजरात के साबरमती जेल में आतंकवादी अहमद सईद पर तीन अन्य कैदियों ने हमला किया। यह घटना आज सुबह लगभग 7 बजे हुई। हमलावरों में दो हत्या के आरोपी और एक पॉक्सो एक्ट का आरोपी शामिल था। अहमद को कल ही जेल में लाया गया था।
हमले के दौरान उसकी आंख के पास चोट आई, और उसके चेहरे तथा शरीर के अन्य हिस्सों पर भी चोटें आई हैं।

गुजरात एटीएस ने जेल का दौरा किया और अहमद को सिविल अस्पताल ले जाया गया। इलाज के बाद उसे फिर से जेल में भेज दिया गया।
रानिप पुलिस ने इस मामले में शिकायत दर्ज कर ली है और जेल अधिकारी उससे पूछताछ कर रहे हैं। यह संदेह है कि हमलावरों के पास अंगूठी थी। हमले में शामिल लोग अनिल खुमान, शिवम वर्मा और अंकित लोधी हैं। अनिल खुमान कागदापीठ थाने का हत्या का आरोपी है, जबकि शिवम शर्मा अमराईवाड़ी थाने का हत्या का आरोपी है। अंकित लोधी पॉक्सो एक्ट का आरोपी है।

डीजीपी का बयान

गुजरात के डीजीपी विकास सहाय ने बताया कि गुजरात पुलिस ने पिछले 30 वर्षों में राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल सभी आरोपियों की गहन जांच शुरू कर दी है। सभी पुलिस थानों को निर्देश दिए गए हैं कि यह जांच अगले 100 घंटों में पूरी की जाए। गुजरात पुलिस देश की सुरक्षा के लिए हमेशा सतर्क है।

डीजीपी ने बताया कि 8 नवंबर को गुजरात के एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड ने कुछ देश-विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की थी और उनसे हथियार भी बरामद किए थे। इसके एक दिन बाद फरीदाबाद में राष्ट्र-विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की गई और उसी दिन दिल्ली में एक बम विस्फोट हुआ।

इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए गुजरात पुलिस ने सतर्कता बढ़ाई है और एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी पुलिस स्टेशनों को निर्देश दिया गया है कि पिछले 30 वर्षों में जो भी राष्ट्र-विरोधी तत्व उनके दायरे में आए हैं, उनकी सूची को अपडेट किया जाए और उनकी जांच की जाए।