सातवें वेतन आयोग में बदलाव की मांग: 5 सदस्यीय परिवार के लिए सैलरी निर्धारण

आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की महासचिव अमरजीत कौर ने 8वें वेतन आयोग के गठन के बाद 5 सदस्यीय परिवार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सैलरी निर्धारण की मांग की है। उन्होंने पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की भी अपील की है। जानें 3 यूनिट फॉर्मूला क्या है और क्यों इसे बदलने की आवश्यकता है। इस लेख में वेतन आयोग के फॉर्मूले और कर्मचारियों की जरूरतों पर चर्चा की गई है।
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सातवें वेतन आयोग में बदलाव की मांग: 5 सदस्यीय परिवार के लिए सैलरी निर्धारण

नई दिल्ली में वेतन आयोग पर चर्चा

नई दिल्ली. आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की महासचिव अमरजीत कौर ने 8वें वेतन आयोग के गठन के बाद इसके फॉर्मूले में बदलाव की मांग की है। उन्होंने वेतन आयोग से अनुरोध किया है कि इस बार न्यूनतम वेतन निर्धारित करते समय परिवार के 5 सदस्यों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाए, न कि पुराने 3 यूनिट (3-unit Norm) के आधार पर सैलरी की गणना की जाए।

इस संदर्भ में, हर सरकारी कर्मचारी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर यह 3 यूनिट फॉर्मूला क्या है, जो सैलरी में वृद्धि का आधार बनता है।

अमरजीत कौर ने कहा कि हर परिवार में केवल पति-पत्नी और दो बच्चे नहीं होते, बल्कि बुजुर्ग माता-पिता भी शामिल होते हैं। बच्चों का यह कानूनी और नैतिक कर्तव्य है कि वे अपने माता-पिता की देखभाल करें। इसलिए, सरकार को न्यूनतम वेतन निर्धारित करते समय 5 सदस्यीय परिवार की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना चाहिए, ताकि कर्मचारी अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि रिटायर हो चुके पेंशनधारकों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। उनकी पेंशन में भी वही बदलाव किए जाने चाहिए जो वर्तमान कर्मचारियों की सैलरी में हो रहे हैं। AITUC की मांग है कि पेंशन का यह संशोधन 1 जनवरी 2006 से लागू किया जाए, ताकि सभी को समान लाभ मिल सके।

पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग संगठन ने यह भी कहा कि सरकार को पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को फिर से लागू करना चाहिए। वर्तमान में लगभग 24 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत हैं, जिसमें उन्हें अपनी सैलरी से योगदान देना पड़ता है। पुरानी योजना में ऐसा नहीं था। AITUC चाहती है कि OPS को 1 जनवरी 2004 से रेट्रोएक्टिव तरीके से लागू किया जाए, ताकि इन कर्मचारियों को भी पुराने लाभ मिल सकें। AITUC की ये मांगें स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं कि सरकारी कर्मचारी और पेंशनधारक दोनों को उचित सैलरी, समान पेंशन और सुरक्षित भविष्य मिलना चाहिए। इससे न केवल उनके परिवार खुशहाल होंगे, बल्कि देश के श्रमिक वर्ग को भी सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिलेगा।

3 यूनिट फॉर्मूला क्या है? वेतन आयोग के लिए 3 यूनिट फॉर्मूला एक मानक है, जिसका उपयोग कर्मचारी की न्यूनतम सैलरी तय करने में किया जाता है। जब आयोग परिवार की आवश्यकताओं के आधार पर सैलरी निर्धारित करता है, तो वह यह मानता है कि एक औसत परिवार में कितने सदस्य होंगे और उनकी आवश्यकताएँ क्या होंगी। इस फॉर्मूले में प्रत्येक सदस्य को एक यूनिट के रूप में गिना जाता है, ताकि पूरे परिवार के लिए कितनी आय की आवश्यकता है, इसका सही अनुमान लगाया जा सके।

यूनिट कैसे तय होती है? वेतन आयोग के फॉर्मूले के अनुसार…

परिवार का कमाने वाला व्यक्ति यानी कर्मचारी को एक यूनिट माना जाता है।

परिवार के आश्रित सदस्य पत्नी या पति को 0.8 यूनिट माना जाता है।

परिवार के बच्चे को 0.6 यूनिट मानते हैं और यदि दो बच्चे हैं तो 1.20 यूनिट माना जाता है।

इस प्रकार, चार सदस्यों वाले परिवार को कुल मिलाकर 3 यूनिट माना जाता है।

इसी यूनिट के आधार पर भोजन, कपड़ा, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी आवश्यकताओं का खर्च जोड़ा जाता है।

5 यूनिट फॉर्मूला की मांग क्यों? AITUC की महासचिव अमरजीत कौर का कहना है कि 3 यूनिट फॉर्मूला अब पुराना हो चुका है और आज के सामाजिक ढांचे के अनुरूप नहीं है। अधिकांश भारतीय परिवारों में केवल पति, पत्नी और दो बच्चे नहीं होते, बल्कि बुजुर्ग माता-पिता भी होते हैं, जिनकी जिम्मेदारी बच्चों पर होती है। उन्होंने कहा कि यदि बच्चे माता-पिता का पालन-पोषण करते हैं, तो सैलरी निर्धारित करते समय परिवार को 5 सदस्यों या 5 यूनिट माना जाना चाहिए। इस आधार पर सैलरी की गणना की जाएगी, जिससे कर्मचारियों को खर्च चलाने में कोई कठिनाई नहीं होगी.