सागरिका घोष ने शांति विधेयक को ट्रंप बिल बताया, सरकार पर उठाए सवाल
सागरिका घोष का बयान
सागरिका घोष
तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने शांति विधेयक पर सरकार की नीतियों की आलोचना की है। राज्यसभा में गुरुवार को इस बिल पर चर्चा के दौरान उन्होंने इसे ट्रंप बिल के रूप में संदर्भित किया। उनका कहना था कि यह शांति विधेयक नहीं, बल्कि TRUMP (The Reactor Upgradation Management Program) बिल है, जिसका उद्देश्य वाशिंगटन को संतुष्ट करना है।
घोष ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सरकार किसके पक्ष में है। यह सरकार 'हम दो हमारे दो' के सिद्धांत पर काम कर रही है। एक गलत निर्णय कई पीढ़ियों को प्रभावित कर सकता है। यह कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह टेलीकॉम और रक्षा से संबंधित है।
टीएमसी सांसद की अन्य टिप्पणियाँ
टीएमसी सांसद ने आगे कहा कि इस सरकार को केवल लाभ की भाषा समझ में आती है, जनता की नहीं। क्या यह बिल वाशिंगटन को खुश करने के लिए लाया गया है? यह नागरिकों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। यह सरकार स्वदेशी का नारा देती है, लेकिन विदेशी हितों की रक्षा करती है। आत्मनिर्भर भारत की बात करने वाले यह बिल विदेशी कंपनियों के लिए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि ट्रंप सरकार का नारा अब इस सरकार की नीति बन गया है। यह शांति विधेयक नहीं है, बल्कि TRUMP (The Reactor Upgradation Management Program) बिल है। इसे इतनी जल्दी पास नहीं किया जा सकता; इस पर गहन चर्चा की आवश्यकता है। केवल चार घंटे की चर्चा के बाद इसे सदन से पारित नहीं किया जा सकता।
सरकार की प्रतिक्रिया
परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह विधेयक विकसित भारत के निर्माण में सहायक होगा। उन्होंने उच्च सदन में इस विधेयक को पेश करते हुए कहा कि यह नाभिकीय ऊर्जा के सतत उपयोग और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में यह एक मील का पत्थर साबित होगा।
उन्होंने बताया कि दुनिया अब स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रही है और इस विधेयक के माध्यम से बढ़ती ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। उनका लक्ष्य परमाणु ऊर्जा को 100 गीगावाट तक पहुंचाना है, जबकि वर्तमान में यह आठ गीगावाट से अधिक है।
जितेंद्र सिंह ने इसे ऐतिहासिक विधेयक बताते हुए कहा कि यह कृषि, खाद्य क्षेत्र और अन्य उद्योगों को भी लाभ पहुंचाएगा। यह विधेयक 17 दिसंबर को लोकसभा में पारित हो चुका है और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 11 दिसंबर को इसे मंजूरी दी थी.
