साइबर फ्रॉड से बचने के उपाय: यूपीआई पेमेंट में सुरक्षा कैसे बढ़ाएं

डिजिटल लेन-देन के बढ़ते चलन के साथ, यूपीआई पेमेंट में साइबर फ्रॉड की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। जानें कैसे आप फर्जी स्क्रीनशॉट, फिशिंग और क्यूआर कोड के जरिए होने वाली ठगी से बच सकते हैं। विशेषज्ञों के सुझावों के माध्यम से जानें कि अपनी डिजिटल सुरक्षा को कैसे मजबूत किया जा सकता है।
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साइबर फ्रॉड से बचने के उपाय: यूपीआई पेमेंट में सुरक्षा कैसे बढ़ाएं

यूपीआई फ्रॉड की बढ़ती चुनौतियाँ

साइबर फ्रॉड से बचने के उपाय: यूपीआई पेमेंट में सुरक्षा कैसे बढ़ाएं

यूपीआई फ्रॉड

जैसे-जैसे देश में डिजिटल लेन-देन का चलन बढ़ रहा है, सरकार भी इसके साथ आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रयासरत है। आजकल यूपीआई के माध्यम से भुगतान करना हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। इसे और सरल बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ नए ऐप्स और सिस्टम पेश किए हैं, जिससे भुगतान प्रक्रिया को और सुगम बनाया जा सकेगा। हालांकि, तकनीक के विकास के साथ-साथ इसके खतरे भी बढ़ रहे हैं। इस समय में लोग फर्जी स्क्रीनशॉट और फिशिंग के जरिए ठगी का शिकार हो रहे हैं। आइए, विशेषज्ञों से जानते हैं कि साइबर फ्रॉड से कैसे बचा जा सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर अपराधी अक्सर वरिष्ठ नागरिकों को अपना लक्ष्य बनाते हैं। इस विषय पर हमने रुपयापैसा.कॉम के संस्थापक मुकेश पाण्डेय और इंडिया फ्यूचर फाउंडेशन के कनिष्क गौड़ से बातचीत की। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए सबसे पहले किसी अनजान नंबर से आए फोन कॉल पर ध्यान न दें, जिसमें कहा जाए कि आपका केवाईसी करना है या आपका बैंक खाता बंद हो रहा है। ऐसे में भेजे गए लिंक पर क्लिक करने से बचें।

यदि आपके पास कोई कार्ड है, तो उसकी सीवीवी और पिन नंबर किसी के साथ साझा न करें। इसके अलावा, मल्टीफैक्ट ऑथेंटिकेशन को सक्षम रखें ताकि आपकी डिजिटल लेन-देन में केवल ओटीपी आधारित सुरक्षा न हो। कभी भी अपना फोन किसी अनजान व्यक्ति को न दें, क्योंकि कई बार फोन को फॉरवर्डिंग के जरिए लोगों के खातों से ओटीपी पिन ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।

ब्लूटूथ डिवाइस को पब्लिक में बंद रखें

कनिष्क गौड़ ने सुझाव दिया कि अपने फोन के ब्लूटूथ डिवाइस को सार्वजनिक स्थानों पर बंद रखें। उन्होंने कहा कि कई बार लोग ब्लूटूथ डिवाइस को ऑन रखकर आपके फोन की जानकारी चुराने की कोशिश करते हैं। इसलिए, अपने फोन का वाई-फाई और ब्लूटूथ सार्वजनिक स्थानों पर बंद रखना आवश्यक है।

फर्जी स्क्रीनशॉट से ठगी

वर्तमान में, ठग फर्जी स्क्रीनशॉट भेजकर लोगों से ठगी कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इंटरनेट पर ऐसे स्क्रीनशॉट आसानी से उपलब्ध हैं। ठग पहले अपने खाते में एक या दो रुपये ट्रांसफर करते हैं ताकि उन्हें यूपीआई आईडी मिल सके। इसके बाद, वे कहते हैं कि आपके खाते में पैसा आ गया है। जब आप इसे सत्यापित करने की कोशिश करते हैं, तो वे आपको एक बड़ी ट्रांजैक्शन दिखाकर कहते हैं कि आपके खाते से पैसा चला गया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आपके खाते में पैसा नहीं आया है और आपको स्क्रीनशॉट मिला है, तो आपको भुगतान नहीं करना चाहिए। यूपीआई में कभी भी ऐसा नहीं होता कि भुगतान दूसरी ओर से हो गया हो और आपके पास इसकी जानकारी न हो। यदि भुगतान होल्ड पर है या अटका हुआ है, तो उसके आधार पर आगे की लेन-देन नहीं करनी चाहिए।

क्यूआर कोड के माध्यम से ठगी

क्यूआर कोड के जरिए भी ठगी की घटनाएं बढ़ रही हैं। कई बार क्यूआर कोड बदल दिए जाते हैं, और जब आप उसे स्कैन करते हैं, तो पता चलता है कि वह असली नहीं है। दुकानों के बाहर क्यूआर कोड बदल दिए जाते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि आप पहले फिजिकली जाकर सत्यापित करें कि क्यूआर कोड या नंबर वही है, जिसमें आप भुगतान कर रहे हैं।