साइबर धोखाधड़ी पर शिकंजा: ईडी की छापेमारी से खुलासा

साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ कार्रवाई
साइबर धोखाधड़ी पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस और जांच एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह से संबंधित धन शोधन की जांच के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उत्तराखंड में कई स्थानों पर छापे मारे।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस गिरोह ने भारतीय और विदेशी नागरिकों से करोड़ों रुपये की ठगी की है। यह छापेमारी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की जा रही है, जिसमें दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और देहरादून में कम से कम 11 स्थान शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि इन शहरों में ठग पुलिस या जांच एजेंसी के अधिकारियों का रूप धारण कर भारतीय और विदेशी नागरिकों से धोखाधड़ी कर रहे थे। उन्होंने गिरफ्तारी की धमकी देकर वसूली की। जालसाजों ने माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन के तकनीकी सहायता सेवा एजेंटों का भी रूप धारण किया।
ईडी ने यह भी पाया कि पीड़ितों की धनराशि को क्रिप्टोकरेंसी में परिवर्तित किया गया था। जांच एजेंसी के अनुसार, आरोपियों ने कई 'क्रिप्टो-वॉलेट' में बिटकॉइन के रूप में लगभग 260 करोड़ रुपये जुटाए, जिन्हें बाद में हवाला ऑपरेटरों और संयुक्त अरब अमीरात में मौजूद व्यक्तियों के माध्यम से यूएसडीटी में परिवर्तित किया गया।
यह धन शोधन का मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकियों से संबंधित है।
एक अन्य घटना में, बिहार में भी एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया गया। वैशाली पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर जंदाहा क्षेत्र में छापेमारी की और पश्चिम बंगाल के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया। हालांकि, इस गिरोह का मास्टरमाइंड फरार हो गया। वैशाली के एसपी ललित मोहन शर्मा ने बताया कि गिरोह अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाता था। इस छापेमारी में पांच लैपटॉप, मोबाइल, सिम और क्रेडिट कार्ड बरामद किए गए।