साइबर ठगों ने शिक्षिका से 31 लाख रुपये ठगे, डिजिटल अरेस्ट का मामला

एक सेवानिवृत शिक्षिका को साइबर ठगों ने धन शोधन के मामले में नाम आने का डर दिखाकर 31 लाख रुपये ठग लिए। ठगों ने खुद को पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी बताकर पीड़िता को डराया और पैसे ऐंठे। यह मामला 'डिजिटल अरेस्ट' की बढ़ती प्रवृत्ति का एक उदाहरण है, जिसमें अपराधी पीड़ितों को ऑडियो या वीडियो कॉल के माध्यम से धमकाते हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।
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साइबर ठगों ने शिक्षिका से 31 लाख रुपये ठगे, डिजिटल अरेस्ट का मामला

साइबर ठगी का नया मामला

एक सेवानिवृत शिक्षिका को धन शोधन के मामले में नाम आने का भय दिखाकर साइबर ठगों ने सात दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा और उनसे कथित तौर पर 31 लाख रुपये ठग लिए। यह जानकारी पुलिस ने साझा की।


साइबर अपराधियों ने खुद को पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी बताकर पीड़िता से पैसे ऐंठे। पीड़िता की शिकायत के आधार पर बृहस्पतिवार को साइबर अपराध थाने में मामला दर्ज किया गया।


अपर पुलिस उपायुक्त (साइबर अपराध) शैव्या गोयल ने बताया कि सेक्टर-100 में रहने वाली शिक्षिका ने अपनी शिकायत में कहा कि 24 अक्टूबर की सुबह जालसाजों ने उन्हें ट्राई कर्मचारी बनकर फोन किया और कहा कि उनके सिम कार्ड को दो घंटे में बंद कर दिया जाएगा।


जब महिला ने कारण पूछा, तो उन्हें बताया गया कि उनके आधार कार्ड का उपयोग करके दिल्ली के दरियागंज में एक बैंक में खाता खोला गया है, जिसमें अवैध लेनदेन होने के कारण दरियागंज थाने में मामला दर्ज किया गया है।


गोयल ने आगे बताया कि कुछ समय बाद ठगों ने दिल्ली पुलिस के अधिकारी के रूप में वीडियो कॉल की और उन्हें धन शोधन के मामले में फंसाने की जानकारी दी, जिसके बाद उन्होंने लाखों रुपये ठग लिए।


अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच जारी है। 'डिजिटल अरेस्ट' एक तेजी से बढ़ता साइबर अपराध है, जिसमें ठग ऑडियो या वीडियो कॉल के माध्यम से खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसियों, अदालतों या सरकारी विभागों के कर्मचारी के रूप में पेश करते हैं और पीड़ितों को डराकर पैसे मांगते हैं।