साइबर ठगों ने एटीएस अधिकारी बनकर 72 वर्षीय सेवानिवृत्त कर्मचारी से 21.5 लाख रुपये ठगे

एक 72 वर्षीय सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को साइबर ठगों ने एटीएस अधिकारी बनकर ठगा। तीन दिन तक उन्हें 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा गया और 21.5 लाख रुपये की ठगी की गई। ठगों ने उन्हें धमकी दी कि यदि उन्होंने सहयोग नहीं किया, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जानें इस धोखाधड़ी की पूरी कहानी और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।
 | 
साइबर ठगों ने एटीएस अधिकारी बनकर 72 वर्षीय सेवानिवृत्त कर्मचारी से 21.5 लाख रुपये ठगे

साइबर धोखाधड़ी का मामला

साइबर अपराधियों ने 72 वर्षीय सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को एटीएस अधिकारी बनकर तीन दिन तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा और उनसे 21.5 लाख रुपये की ठगी की। यह जानकारी जबलपुर पुलिस ने शनिवार को साझा की।


शिकायतकर्ता, अविनाश चंद्रा, जो नेपियर टाउन में रहते हैं, ने बताया कि उन्हें एक दिसंबर को एक फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को पुणे का एटीएस अधिकारी बताते हुए कहा कि चंद्रा के बैंक खाते और आधार नंबर का उपयोग 'आतंकवाद के वित्तपोषण' में किया गया है।


इस 'एटीएस अधिकारी' ने चंद्रा को वाट्सएप पर कुछ दस्तावेज भेजे और उन्हें धमकी दी कि यदि उन्होंने सहयोग नहीं किया, तो उन्हें और उनके बेटे को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।


पुलिस ने बताया कि चंद्रा को तीन दिन तक हर दिन सुबह नौ बजे से शाम सात बजे तक वीडियो कॉल पर रखा गया। उनकी गतिविधियों पर नजर रखी गई और उन्हें किसी से बात करने से रोका गया। आरोपियों ने उन्हें बैंक खातों के नंबर भेजकर तीन किश्तों में पैसे भेजने के लिए मजबूर किया।


पुलिस के अनुसार, ठगों ने चंद्रा से कहा कि यह राशि 'कुछ समय के लिए' रखी जा रही है और छह दिनों में वापस कर दी जाएगी। धोखेबाजों ने जानकारी न देने पर 18 साल की जेल और भारी जुर्माने की धमकी देकर उनकी संपत्ति की जानकारी भी हासिल की। उन्होंने रक्षा मंत्रालय के कथित जाली दस्तावेज भी भेजे ताकि चंद्रा का विश्वास जीत सकें।


जब चंद्रा के परिवार ने साइबर पुलिस से शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, तो धोखेबाजों ने फिर से फोन किया और कहा कि पैसे वापस नहीं किए जाएंगे। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।