साइबर ठगी: सेवानिवृत्त बैंकर से 23 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी

साइबर जालसाजों का नया तरीका
साइबर ठगों ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का अधिकारी बताकर दक्षिण दिल्ली के गुलमोहर पार्क में एक सेवानिवृत्त बैंकर को लगभग एक महीने तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा और उससे 23 करोड़ रुपये की ठगी की। यह जानकारी पुलिस ने सोमवार को साझा की।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने पीड़ित को बताया कि पुलवामा आतंकी हमले, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद के वित्तपोषण में उसके आधार कार्ड का उपयोग किया गया है, जिसके चलते उसे बंधक बना लिया गया।
अधिकारी ने कहा, 'जालसाज ने उसे घर से बाहर न निकलने की सलाह दी और एक महीने के दौरान उसे अपनी बचत विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया।'
पुलिस के अनुसार, 78 वर्षीय पीड़ित ने अपनी शिकायत में बताया कि यह घटना चार अगस्त को शुरू हुई, जब उन्हें एक व्यक्ति का फोन आया जिसने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताया। फोन करने वाले ने उन पर मादक पदार्थ तस्करी के एक गिरोह से जुड़े होने का आरोप लगाया। इसके बाद, जालसाजों ने ईडी और सीबीआई के अधिकारियों के रूप में संपर्क किया।
अधिकारी ने कहा, 'डर के कारण पीड़ित ने उनके निर्देशों का पालन किया और अपने बैंक खातों से बताए गए खातों में पैसे भेजता रहा। आरोपियों ने बुजुर्ग को धमकी भी दी कि अगर उसने इस बारे में किसी को बताया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।'
पीड़ित को चार सितंबर तक परेशान किया गया, और उसके बाद जालसाजों ने उससे संपर्क करना बंद कर दिया। ठगी का एहसास होने पर, उन्होंने 19 सितंबर को एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद मामला इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) यूनिट को सौंपा गया।
पुलिस ने बताया कि एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और ठगे गए 12.11 करोड़ रुपये की राशि के लेन-देन पर रोक लगा दी गई है। यह धनराशि कई खातों में जमा की गई थी और आरोपियों ने पकड़े जाने से बचने के लिए इसे देश के विभिन्न हिस्सों से निकाला।
अधिकारी ने कहा, 'पूरे मामले की जांच जारी है। कई टीमें पहले से ही इस पर काम कर रही हैं। पुलिस जल्द ही मामले का खुलासा करेगी और आरोपियों को गिरफ्तार करेगी।'