साइबर अपराधियों ने बुजुर्गों और वकील से ठगी की, चार करोड़ रुपये का नुकसान

गौतमबुद्धनगर में साइबर अपराधियों ने एक महिला वकील और दो बुजुर्गों को 'डिजिटल अरेस्ट' कर चार करोड़ रुपये की ठगी की। पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। पीड़ितों ने बताया कि उन्हें फर्जी कॉल के जरिए ठगा गया। जानें इस धोखाधड़ी के पीछे की पूरी कहानी और पुलिस की कार्रवाई के बारे में।
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साइबर अपराधियों ने बुजुर्गों और वकील से ठगी की, चार करोड़ रुपये का नुकसान

गौतमबुद्धनगर में साइबर ठगी का मामला

गौतमबुद्धनगर जिले में साइबर अपराधियों ने एक महिला वकील और दो बुजुर्गों को 'डिजिटल अरेस्ट' कर चार करोड़ रुपये की ठगी की है। पुलिस ने बुधवार को इस घटना की जानकारी दी।


पुलिस ने दोनों मामलों में प्राथमिकी दर्ज की है। पहले मामले में, 72 वर्षीय महिला वकील ने साइबर अपराध थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि अज्ञात अपराधियों ने उनसे तीन करोड़ 29 लाख 70 हजार रुपये की ठगी की।


साइबर अपराध थाने के एक अधिकारी के अनुसार, पीड़िता हेमंतिका वाही ने बताया कि 10 जून को उन्हें एक फोन आया, जिसमें कहा गया कि उनके आधार कार्ड का उपयोग कर चार बैंक खाते खोले गए हैं और इस संबंध में एक मुकदमा दर्ज किया गया है।


पीड़िता की शिकायत के अनुसार, इन खातों में जमा पैसे का उपयोग जुआ, ब्लैकमेलिंग और अवैध हथियारों की खरीद में किया गया है। इसके बाद उन्हें एक फोन नंबर पर संपर्क करने के लिए कहा गया।


जब पीड़िता ने उस नंबर पर संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि वे गंभीर अपराध में शामिल हैं। इसके बाद उन्हें फर्जी पुलिस से कॉल आने लगे, जिसमें उनके बैंक खातों की जानकारी मांगी गई और इस तरह से तीन करोड़ 29 लाख 70 हजार रुपये की ठगी कर ली गई।


दूसरे मामले में, 75 वर्षीय एक सेवानिवृत्त व्यक्ति को 12 दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखकर साइबर अपराधियों ने 49.5 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस उपायुक्त (साइबर अपराध) प्रीति यादव ने बताया कि नोएडा के सेक्टर 29 में रहने वाले राजीव कुमार ने मंगलवार को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।


राजीव ने बताया कि 18 जून को उनके लैंडलाइन पर एक कॉल आई, जिसमें कहा गया कि उनके फोन नंबर और आधार कार्ड का उपयोग कर चार बैंक खाते खोले गए हैं, जिनका इस्तेमाल मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।


बुजुर्ग ने ठगों से मदद की गुहार लगाई, तो आरोपियों ने गोपनीय समझौते की बात कही और कहा कि उन्हें किसी को भी इस बारे में नहीं बताना चाहिए।


पीड़ित ने बताया कि उन्हें 18 से 30 जून तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा गया और इस दौरान आरोपियों ने मदद के बहाने से उनके विभिन्न खातों में तीन बार में 49 लाख 50 हजार रुपये जमा करवा लिए।