साइबर अपराध में 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के खिलाफ छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय ने गुजरात और महाराष्ट्र में एक बड़े साइबर अपराध से जुड़े 100 करोड़ रुपये के धन धोखाधड़ी मामले में छापेमारी की। इस कार्रवाई में कई आरोपियों पर 'डिजिटल अरेस्ट' जैसे धोखाधड़ी करने का आरोप है। जांच में पता चला है कि ये अपराधी नकली ट्रेडिंग और फर्जी नोटिस भेजकर लोगों को ठगने में शामिल थे। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और छापेमारी के पीछे की कहानी।
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साइबर अपराध में 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के खिलाफ छापेमारी

साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को गुजरात और महाराष्ट्र में एक बड़े साइबर अपराध से जुड़े 100 करोड़ रुपये से अधिक के धन धोखाधड़ी मामले की जांच के तहत छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इन अपराधियों पर 'डिजिटल अरेस्ट' जैसे धोखाधड़ी करने और विदेश में बड़ी धनराशि स्थानांतरित करने का आरोप है।


सूरत उप-क्षेत्रीय कार्यालय ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत सूरत, अहमदाबाद और मुंबई में छापे मारे।


सूत्रों ने बताया कि यह मामला मकबूल डॉक्टर, काशिफ डॉक्टर, बासम डॉक्टर, महेश मफतलाल देसाई, माज अब्दुल रहीम नाडा और अन्य के खिलाफ गुजरात पुलिस की एक प्राथमिकी से सामने आया।


आरोप है कि ये साइबर अपराधी विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी में लिप्त थे, जैसे नकली यूएसडीटी ट्रेडिंग (क्रिप्टो मुद्रा) और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के नाम पर फर्जी नोटिस भेजकर निर्दोष लोगों को धमकाना।


साइबर धोखाधड़ी के जरिए भोले-भाले लोगों से प्राप्त धन को 'डमी' व्यक्तियों के केवाईसी का उपयोग करके या फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खोले गए बैंक खातों में जमा किया गया।


सूत्रों ने बताया कि इस अवैध धन को विभिन्न 'अंगड़िया' या हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से क्रिप्टो करेंसी में परिवर्तित किया गया और संदेह है कि आरोपियों ने विदेश में 100 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि भेजी।