साइबर अपराध के खिलाफ जागरूकता: समाज की जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने साइबर अपराध के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह केवल पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे समाज की है। 'रन फॉर साइबर अवेयरनेस' कार्यक्रम में भाग लेते हुए, उन्होंने डिजिटल युग में बढ़ते साइबर खतरों के बारे में बताया और नागरिकों से अपील की कि वे साइबर ठगी की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करें। जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर और क्या कहा गया।
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साइबर अपराध से निपटने की सामूहिक जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट किया कि साइबर अपराध से निपटना केवल पुलिस का कार्य नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि तकनीकी और कानूनी उपाय महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जागरूकता इस लड़ाई का सबसे प्रभावी हथियार है। जब लोग जागरूक होंगे, तभी देश सुरक्षित रह सकेगा।


साइबर जागरूकता के लिए दौड़ का आयोजन

बुधवार को, मुख्यमंत्री ने अटल पथ पर स्थित प्लेटिनम प्लाजा से 'रन फॉर साइबर अवेयरनेस' को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर विधायक भगवानदास सबनानी, पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे।


साइबर अपराध के बढ़ते खतरे

डॉ. यादव ने बताया कि डिजिटल युग में हमारी सशक्तता के साथ-साथ साइबर अपराध के नए खतरे भी तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि डिजिटल अरेस्ट, फेक प्रोफाइल, हैकिंग, डेटा ब्रीचिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी, ओटीपी धोखाधड़ी, ऑनलाइन शॉपिंग ठगी और फेक इन्वेस्टमेंट लिंक जैसी घटनाएं बढ़ी हैं।


साइबर ठगी की स्थिति में क्या करें

मुख्यमंत्री ने नागरिकों से आग्रह किया कि यदि वे साइबर ठगी का शिकार होते हैं, तो तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें। उन्होंने कहा कि त्वरित कार्रवाई ही बचाव का सबसे अच्छा तरीका है और साइबर स्वच्छता को अपनाना भी उतना ही आवश्यक है।


भारत की डिजिटल क्रांति

डॉ. यादव ने कहा कि भारत अब डिजिटल क्रांति का अग्रदूत बन चुका है। डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन सेवाएं और ई-गवर्नेंस ने जीवन को सरल बनाया है, लेकिन सतर्क रहना आवश्यक है। साइबर अपराधी अक्सर पुलिस अधिकारी, बैंक मैनेजर या सरकारी एजेंसी के रूप में लोगों को धोखा दे रहे हैं।


साइबर अपराध का व्यापक प्रभाव

पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने कहा कि साइबर अपराध केवल आर्थिक नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि यह विश्वास, पहचान और चरित्र को भी नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने बताया कि सुरक्षित रहना केवल दरवाजे बंद करने तक सीमित नहीं है, बल्कि मोबाइल को लॉक करना भी आवश्यक है।