सहारनपुर के डॉक्टर परवेज का आतंकवादी नेटवर्क: एक चौंकाने वाली कहानी
सहारनपुर में डॉक्टर परवेज का रहस्य
सहारनपुर के निवासी डॉ. परवेज के पड़ोसी आज भी उनकी असली पहचान को लेकर हैरान हैं। उनके अनुसार, परवेज एक शांत और एकाकी व्यक्ति थे, जो मरीजों के अलावा किसी से ज्यादा बात नहीं करते थे। वह अक्सर अपने फोन में व्यस्त रहते थे।
लाल किला धमाके की साजिश
दिल्ली के लाल किले के बाहर 8 सितंबर 2025 को हुए आत्मघाती हमले ने पूरे देश को हिला दिया। इस हमले में 15 निर्दोष लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए। अब इस घटना की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। इस साजिश में शामिल अधिकांश लोग शिक्षित डॉक्टर हैं, जो सामान्य नागरिकों की तरह दिखते थे।
आतंकवादी नेटवर्क का खुलासा
जम्मू-कश्मीर से आए कुछ डॉक्टर हरियाणा की एक यूनिवर्सिटी में रह रहे थे, जबकि उत्तर प्रदेश के कुछ आतंकियों ने इनकी मदद से दिल्ली में आत्मघाती हमले की योजना बनाई। जांच में पता चला कि सहारनपुर में भी एक आतंकवादी ठिकाना बनाया गया था। डॉ. परवेज अंसारी इस साजिश में मुख्य भूमिका निभा रहे थे।
पड़ोसियों की हैरानी
डॉ. परवेज के पड़ोसी बताते हैं कि वह हमेशा शांत रहते थे और मरीजों के अलावा किसी से ज्यादा बात नहीं करते थे। उनकी क्लिनिक पर हमेशा भीड़ रहती थी, क्योंकि वह कम फीस लेते थे। किसी को नहीं पता था कि उनकी कम फीस का असली मकसद क्या था।
बड़ी बहन का ब्रेनवॉश
डॉ. परवेज ने अपनी बड़ी बहन शाहीन को देखकर डॉक्टर बनने का निर्णय लिया। लखनऊ जाने के बाद, शाहीन ने उनका ब्रेनवॉश किया और उन्हें आतंकवादी संगठन में शामिल कर लिया। इसके बाद उन्होंने धार्मिक पहचान बनाने के लिए दाढ़ी और टोपी पहनना शुरू कर दिया।
गायब होने की कला
डॉ. परवेज को गायब होने में महारत हासिल थी। पहले भी वह अपनी पत्नी से झगड़े के बाद गायब हो गए थे। जब दिल्ली ब्लास्ट का खुलासा हुआ और उनकी बहन को गिरफ्तार किया गया, तो उन्होंने भागने की योजना बनाई, लेकिन इस बार वह बच नहीं सके।
आतंकवादी अड्डा
जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि डॉ. परवेज ने सहारनपुर में एक गुप्त आतंकवादी नेटवर्क स्थापित किया था। उन्होंने एक कार खरीदी और जम्मू-कश्मीर से आए डॉक्टर अदिल को सहारनपुर में बसने में मदद की। जब एजेंसियों ने उनके घर पर छापा मारा, तो कई महत्वपूर्ण चीजें बरामद हुईं।
आतंकवादियों की पहचान
यह मामला इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि इसमें शामिल लोग सामान्य और शिक्षित दिखते थे। डॉक्टर और प्रोफेसर जैसे लोग आतंकवाद की साजिश रच रहे थे। यह घटना हमें यह सिखाती है कि आतंकवादियों की पहचान हमेशा स्पष्ट नहीं होती।
