ससुराल में हंसी-मजाक का माहौल: रिश्तों की मिठास

ससुराल में हल्की-फुल्की बातचीत
एक सुखद दोपहर थी, जब दामाद अपने ससुराल में बैठा हुआ था। चाय के कप, पकौड़ों की थाली और हंसी के ठहाकों के बीच, दामाद ने मुस्कुराते हुए सास से कहा, “सासु माँ, आपकी बेटी में दिमाग की कमी है!”
यह सुनकर सास थोड़ी चौंकी, फिर आंखों में चंचलता के साथ बोलीं, “बेटा, तुम्हें तो ऐसी ही लड़की पसंद आई थी! हमारी सादगी और मासूमियत ही उसे खास बनाती है।”
दामाद ने मुस्कुराते हुए कहा, “सासु माँ! यह तो सही है, लेकिन जब वह गलती करती है, तो आप भी कभी-कभी परेशान हो जाती होंगी।”
सास हंसते हुए बोलीं, “देखो बेटा, हम लड़कियों को बच्चों जैसी मासूमियत के साथ थोड़ा नादान भी रखते हैं, ताकि तुम जैसे दामादों को हमेशा सिखाने का मौका मिलता रहे। अगर दिमाग ज्यादा चला तो घर के मसाले फीके नहीं हो जाएंगे?”
दोनों की हंसी से कमरा गूंज उठा। ससुराल का माहौल हल्का हो गया, और सभी ने समझ लिया कि कभी-कभी चिढ़ाई और प्यार भरे संवाद रिश्तों में मिठास भर देते हैं। परिवार उन्हीं छोटी-छोटी बातों से खूबसूरत बनता है—जहाँ प्यार, मजाक और समझदारी का संगम होता है।
कहानी का संदेश:
रिश्तों में मजाक और अपनापन बहुत महत्वपूर्ण है। कभी-कभी हंसी-ठिठोली रिश्तों की दूरियों को भी नजदीकियों में बदल देती है। घर वही है, जहाँ प्यार की मुस्कान और चुटकुले हमेशा बसे रहते हैं।