सर्वोच्च न्यायालय में धर्मस्थल सामूहिक अंत्येष्टि मामले की सुनवाई

कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई करेगा। यह याचिका धर्मस्थल मंदिर संस्थान के सचिव द्वारा प्रस्तुत की गई है। उच्च न्यायालय ने पहले इस प्रतिबंध को असंवैधानिक करार दिया था, जिससे पत्रकारिता की स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला। कुडले रैम्पेज ने इस निषेधाज्ञा को चुनौती दी थी, जिसके बाद न्यायालय ने पारदर्शिता के महत्व पर जोर दिया।
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सर्वोच्च न्यायालय में धर्मस्थल सामूहिक अंत्येष्टि मामले की सुनवाई

सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई की तैयारी

कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई करेगा। यह याचिका धर्मस्थल मंदिर संस्थान के सचिव हर्षेंद्र कुमार डी ने प्रस्तुत की है, जिन्होंने मामले की तात्कालिक सुनवाई की मांग की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने आज इस मामले की सुनवाई के लिए सहमति दी है, लेकिन यह अभी तक शुक्रवार की सुनवाई सूची में शामिल नहीं हुआ है।


कर्नाटक उच्च न्यायालय का निर्णय

पिछले शुक्रवार को, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध को "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर असंवैधानिक प्रतिबंध" बताते हुए रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने कहा कि जनता के जानने के अधिकार को सीमित नहीं किया जा सकता, विशेषकर ऐसे मामलों में जहां कथित संस्थागत विफलताएँ और संभावित आपराधिक गतिविधियाँ शामिल हैं। इस आदेश ने यूट्यूब चैनल कुडले रैम्पेज सहित 338 व्यक्तियों और संस्थाओं को मामले से संबंधित सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने से रोका था।


कुडले रैम्पेज की चुनौती

कुडले रैम्पेज ने इस निषेधाज्ञा को चुनौती दी, जिसके बाद उच्च न्यायालय ने यह निर्णय सुनाया। न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत का एकतरफा आदेश पत्रकारिता के लिए चिंताजनक था और सार्वजनिक जवाबदेही के मूल सिद्धांत पर प्रहार करता था। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ए वेलन ने इस निर्णय को कानून के सही उपयोग की पुष्टि बताया, यह कहते हुए कि यह मानहानि का मामला नहीं है, बल्कि पारदर्शिता का मामला है। यह जीत यह सुनिश्चित करती है कि कहानी को दबाया नहीं जाएगा।