सर्व पितृ अमावस्या 2025: पितरों को श्रद्धांजलि देने का विशेष दिन

सर्व पितृ अमावस्या 2025 एक महत्वपूर्ण दिन है जब हम अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। इस दिन किए जाने वाले अनुष्ठान जैसे पिंड दान, तुलसी पूजा और पंचबली अनुष्ठान का विशेष महत्व है। जानें कैसे ये उपाय आपके परिवार में सुख और समृद्धि लाने में मदद कर सकते हैं।
 | 
सर्व पितृ अमावस्या 2025: पितरों को श्रद्धांजलि देने का विशेष दिन

सर्व पितृ अमावस्या का महत्व


सर्व पितृ अमावस्या 2025: आज सर्व पितृ अमावस्या है। पितृ पक्ष का यह 15 दिवसीय समय न केवल पूर्वजों को याद करने के लिए है, बल्कि उनके आत्माओं की शांति और संतोष का प्रतीक भी है। इस दौरान पिंड दान, तर्पण और श्राद्ध जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। माना जाता है कि इन दिनों पूर्वज धरती पर आते हैं, अपने वंशजों की रक्षा करते हैं और उनके दुखों को कम करते हैं। इस वर्ष, पितृ पक्ष 21 सितंबर को समाप्त होगा, जो सर्व पितृ अमावस्या का दिन है। यह दिन पूर्वजों को विदाई देने का अंतिम अवसर है। इस दिन किए गए विशेष उपाय न केवल पूर्वजों का आशीर्वाद लाते हैं, बल्कि देवी लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं इस दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में।


उपाय और अनुष्ठान

सर्व पितृ अमावस्या 2025: पितरों को श्रद्धांजलि देने का विशेष दिन

इस दिन सूर्यास्त के बाद घर के उत्तर-पूर्व कोने में शुद्ध घी का दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है। दीपक में कुछ काले तिल डालकर जलाना पूर्वजों को प्रसन्न करने का एक उत्कृष्ट तरीका है। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और धन में वृद्धि होती है।


ब्राह्मणों का भोजन और दान

ब्राह्मण भोज और दान:

पितृ पक्ष की अमावस्या पर ब्राह्मणों को आमंत्रित कर उन्हें भोजन कराना विशेष फलदायी माना जाता है। भोजन में पूर्वजों की पसंदीदा वस्तुएं शामिल करें, और भोजन के बाद दक्षिणा, कपड़े या अन्य उपयोगी वस्तुएं दान करें। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों की समृद्धि सुनिश्चित करते हैं।


पंचबली अनुष्ठान

पंचबली अनुष्ठान:

इस दिन पंचबली का महत्व बताया जाता है। इस अनुष्ठान में गायों, कुत्तों, कौवों, देवताओं और चींटियों को भोजन अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह अनुष्ठान पूर्वजों को संतुष्ट करता है और उनके पापों के प्रभाव को कम करता है।


तुलसी की पूजा

तुलसी की पूजा:
शाम को तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना भी बहुत शुभ माना जाता है। तुलसी देवी लक्ष्मी का रूप मानी जाती है, और यह प्रथा परिवार में सुख और समृद्धि लाने का विश्वास दिलाती है।


पीपल वृक्ष की परिक्रमा

पीपल वृक्ष की परिक्रमा:

सर्व पितृ अमावस्या पर पीपल वृक्ष की पूजा और उस पर दीपक जलाना विशेष महत्व रखता है। पीपल वृक्ष को देवताओं और पूर्वजों का निवास माना जाता है। इसके नीचे दीपक जलाना और परिक्रमा करना पूर्वजों के श्रापों को कम करने में मदद करता है।


सोशल मीडिया पर साझा करें

PC सोशल मीडिया