सर्बानंद सोनोवाल का 63वां जन्मदिन: असम के नेता की प्रेरणादायक यात्रा

सर्बानंद सोनोवाल, भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता और असम के मुख्यमंत्री, आज अपने 63वें जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं। उनका राजनीतिक सफर असम गण परिषद से शुरू हुआ और भाजपा में शामिल होकर उन्होंने असम में पार्टी को सत्ता दिलाई। सोनोवाल का मानना है कि अवैध बांग्लादेशियों को अपने देश लौटना चाहिए, और उन्होंने इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उनके जीवन की प्रेरणादायक कहानी और राजनीतिक उपलब्धियों के बारे में जानें।
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सर्बानंद सोनोवाल का 63वां जन्मदिन: असम के नेता की प्रेरणादायक यात्रा

जन्मदिन की शुभकामनाएं

भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता और केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल आज, 31 अक्टूबर को अपने 63वें जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं। सोनोवाल ने पूर्वोत्तर में भाजपा को पहचान दिलाने के साथ-साथ असम जैसे महत्वपूर्ण राज्य में पार्टी को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भाजपा में शामिल होने से पहले, वह असम गण परिषद के सदस्य थे और असम के जातीय नायकों में उनकी गिनती होती थी। आइए, उनके जन्मदिन के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारियों पर नजर डालते हैं।


शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

सर्बानंद सोनोवाल का जन्म 31 अक्टूबर 1962 को डिब्रूगढ़ के मोलोक गांव में हुआ। उनके पिता का नाम जिबेश्वर सोनोवाल और माता का नाम देनेश्वरी सोनोवाल है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद कानून की पढ़ाई की। छात्र जीवन के दौरान ही वह राजनीति में सक्रिय हो गए और 1996 से 2000 तक पूर्वोत्तर छात्र संगठन के अध्यक्ष रहे।


राजनीतिक करियर

सर्बानंद सोनोवाल ने अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में कदम रखा। वह असम गण परिषद से जुड़े और 2001 में पहली बार विधायक बने। इसके बाद, 2004 में वह असम गण परिषद से सांसद चुने गए। उन्होंने असम में गृहमंत्री और उद्योग वाणिज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया।


भाजपा में प्रवेश

भारतीय जनता पार्टी को पूर्वोत्तर में एक मजबूत नेता की आवश्यकता थी, जो पार्टी की नीतियों को समझता हो। सोनोवाल ने महसूस किया कि असम गण परिषद अपनी प्रासंगिकता खो रही है। कांग्रेस में शामिल होना उनके लिए संभव नहीं था, क्योंकि असम गण परिषद ने कांग्रेस का विरोध करते हुए सत्ता हासिल की थी। इस स्थिति में, उन्होंने 2011 में भाजपा में शामिल होने का साहसिक निर्णय लिया। भाजपा में शामिल होते ही उन्हें कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया और वह असम में पार्टी के प्रवक्ता भी बने। 2014 में, उन्होंने लखीमपुर सीट से जीत हासिल कर अपनी राजनीतिक क्षमता साबित की।


असम के मुख्यमंत्री

24 मई 2016 को, सर्बानंद सोनोवाल ने असम के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और वह राज्य के 14वें मुख्यमंत्री बने। असम में अवैध बांग्लादेशियों का मुद्दा हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। सोनोवाल का मानना था कि अवैध बांग्लादेशियों को अपने देश लौटना चाहिए। 1983 में इल्लिगल माइग्रेंट्स डिटर्मिनेशन बाई ट्रिब्यूनल एक्ट के अस्तित्व में आने के बाद, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस कानून को खत्म करने का आदेश दिलवाया। इस निर्णय के बाद, असम की जनता में उनकी छवि एक जातीय नायक के रूप में स्थापित हुई।