सर्दियों में खराब वायु गुणवत्ता से फेफड़ों पर पड़ रहा गंभीर असर

उत्तर भारत में सर्दियों के दौरान बढ़ते प्रदूषण का फेफड़ों पर गंभीर असर पड़ रहा है। हाल के शोध में यह सामने आया है कि खराब वायु गुणवत्ता से अस्थमा और अन्य सांस संबंधी बीमारियों में वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड और प्रदूषण का संयोजन श्वसन तंत्र को प्रभावित कर रहा है। हर साल भारत में वायु प्रदूषण से लाखों मौतें होती हैं। जानें इस समस्या के कारण और इससे बचने के उपाय।
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सर्दियों में खराब वायु गुणवत्ता से फेफड़ों पर पड़ रहा गंभीर असर

सर्दियों में प्रदूषण का बढ़ता खतरा

उत्तर भारत में जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है, वायु प्रदूषण का स्तर भी लगातार ऊंचा हो रहा है, जिससे फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि हो रही है। इंडियन जर्नल ऑफ चेस्ट डिजीज एंड एलाइड साइंसेज द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि सर्दियों में खराब वायु गुणवत्ता सांस के रोगियों के लिए अत्यंत हानिकारक साबित हो रही है। इस मौसम में अस्पतालों में लगभग 40 प्रतिशत अस्थमा के मरीज खांसी और सांस लेने में कठिनाई के कारण भर्ती हो रहे हैं.


विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों में ठंड और वायु प्रदूषण का संयोजन श्वसन तंत्र पर गंभीर प्रभाव डालता है। कम तापमान के कारण वायुमंडल में प्रदूषक कण अधिक समय तक जमीन के निकट रहते हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता और भी खराब हो जाती है। ये प्रदूषक कण सांस की नली में सूजन पैदा करते हैं और इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देते हैं.


ठंड के मौसम में प्रदूषण के कारण एलर्जी, खांसी, जुकाम और सांस संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, विशेषकर बुजुर्ग और बच्चे, उन्हें इस मौसम में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। वायरल संक्रमण और एलर्जिक रिएक्शन के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे अस्पतालों में सांस से संबंधित मरीजों की संख्या बढ़ रही है.


भारत में हर साल लगभग 20 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के कारण होती है। इनमें से अधिकांश मौतें सर्दियों में होती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि खराब वायु गुणवत्ता के कारण दिल की बीमारियों, निमोनिया, मानसिक रोग, फेफड़ों के कैंसर और मोतियाबिंद जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.


क्या करें?
* बाहर जाते समय मास्क पहनें.
* घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें.
* संतुलित आहार और गर्म पानी का सेवन करें.
* सुबह और शाम की सैर से बचें, जब प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक होता है.