सर्दियों में अंगूर: मिठास के पीछे छिपा जहर
अंगूर का बढ़ता खतरा
सर्दियों में अंगूर एक लोकप्रिय फल है, जिसे लोग होली तक बड़े चाव से खाते हैं। पहले, बाजार में अंगूर खरीदना जोखिम भरा होता था क्योंकि वे अक्सर खट्टे निकलते थे। लेकिन अब, जो अंगूर मिलते हैं, वे मीठे होते हैं।
इस बदलाव का कारण क्या है? आजकल, अंगूर की मिठास के पीछे एक गंभीर समस्या है। ये फल अब केमिकल से भरे होते हैं। चमकदार काले और हरे अंगूर देखकर लोग आकर्षित होते हैं, लेकिन उनकी मिठास प्राकृतिक नहीं है।
किसान फसल को तेजी से बढ़ाने और कीटों से बचाने के लिए पेस्टिसाइड, फंगीसाइड और ग्रोथ हार्मोन का उपयोग करते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN) की रिपोर्ट के अनुसार, अंगूर में क्लोरपाइरीफॉस, कार्बेंडाजिम और प्रोफेनोफॉस जैसे खतरनाक केमिकल की मात्रा 50 गुना अधिक होती है। इसके अलावा, लेड और आर्सेनिक की मात्रा भी WHO की सीमा से 200% अधिक पाई गई है।
ये केमिकल अंगूर की पतली छिलके में समा जाते हैं। ऊपर से वैक्स की चमकदार परत लगाई जाती है, जो देखने में आकर्षक लगती है, लेकिन अंदर जहर छिपा होता है। यदि इन्हें ठीक से धोया न जाए, तो ये स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकते हैं।
FSSAI की लैब टेस्टिंग में यह पाया गया कि 80% बाजार में उपलब्ध अंगूर पेस्टिसाइड की सीमा से अधिक दूषित होते हैं। बिना धोए 10-15 अंगूर खाने से शरीर में 0.5 mg क्लोरपाइरीफॉस जा सकता है, जो बच्चों के लिए घातक हो सकता है। इसके सेवन से मुंह में जलन, जीभ में सूजन, उल्टी, चक्कर, पेट दर्द और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बच्चों के लिए विशेष खतरा
बच्चे और बुजुर्ग इस जहर के सबसे आसान शिकार होते हैं। बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, और 5-6 अंगूर उनके लिए जहर के समान हो सकते हैं। बुजुर्गों की किडनी पहले से कमजोर होती है, और एक बार यह जहर शरीर में गया तो वापसी मुश्किल हो जाती है। FSSAI ने इस संबंध में चेतावनी जारी की है, लेकिन फिर भी बाजार में इनकी बिक्री जारी है। FSSAI ने सलाह दी है कि सर्दियों में अंगूर खरीदने के बाद उन्हें सात बार धोना चाहिए।
