सरसों के तेल पर अमेरिका में प्रतिबंध: जानें इसके पीछे का कारण

उत्तर भारत में सरसों की फसल का महत्व और इसके तेल का उपयोग भारतीय व्यंजनों में अत्यधिक होता है। हाल ही में अमेरिका ने सरसों के तेल पर प्रतिबंध लगाया है, जिसका कारण इसके उच्च इरुसिक एसिड स्तर को बताया गया है। यह एसिड स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जानें इस प्रतिबंध के पीछे की वजह और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में अधिक जानकारी।
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सरसों के तेल पर अमेरिका में प्रतिबंध: जानें इसके पीछे का कारण

सरसों की फसल और उसका महत्व

उत्तर भारत में रबी की फसल के दौरान गेहूं के बाद सरसों की खेती सबसे अधिक होती है। सरसों की अधिक उपज के कारण इससे बने उत्पादों का भी व्यापक उपयोग होता है। मुख्य रूप से, सरसों का उपयोग तेल बनाने के लिए किया जाता है, और भारत में इसे खाने में प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है।


भारतीय व्यंजनों में सरसों के तेल का उपयोग

भारतीय खाने को तैयार करने में सरसों के तेल का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसे घरों, होटलों और रेस्टोरेंट में खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।


सरसों के तेल की कीमत और उपयोग

भारतीय बाजार में सरसों के तेल की कीमतें अपेक्षाकृत कम हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोग इसे अधिकतर उपयोग करते हैं। हाल ही में, इस तेल पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे लोगों में कई सवाल उठ रहे हैं।


सरसों के तेल का स्वास्थ्य पर प्रभाव

अमेरिका में सरसों के तेल पर प्रतिबंध का कारण इसके उच्च इरुसिक एसिड स्तर को बताया गया है। फूड सेफ्टी एक्सपर्ट अश्विन भद्री के अनुसार, यह एसिड संभावित रूप से हृदय, फेफड़ों और त्वचा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।


इरुसिक एसिड और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं

डॉक्टरों का कहना है कि इरुसिक एसिड से कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि इसकी थोड़ी मात्रा सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन लंबे समय तक उच्च स्तर हानिकारक हो सकता है। यह एक मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है।