सरकारी विभागों में अदालती आदेशों को चुनौती देने की प्रवृत्ति पर अंकुश की आवश्यकता

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सरकारी विभागों में अदालती आदेशों को चुनौती देने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि कई बार ठोस अदालत के फैसलों के बावजूद विभाग अपील दायर कर देते हैं। मेघवाल ने अधिकारियों की सुरक्षा के लिए अपील करने की प्रवृत्ति पर भी प्रकाश डाला। इसके साथ ही, उन्होंने सीएटी को आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने की सलाह दी ताकि न्याय में भौगोलिक बाधाएं न आएं।
 | 
सरकारी विभागों में अदालती आदेशों को चुनौती देने की प्रवृत्ति पर अंकुश की आवश्यकता

कानून मंत्री का बयान

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शनिवार को कहा कि सरकारी विभागों में अदालत के आदेशों को चुनौती देने की प्रवृत्ति को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सीएटी) के सम्मेलन में यह बात कही।


उन्होंने बताया कि कई बार अदालतें स्पष्ट निर्णय देती हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकारी विभाग अपील दायर कर देते हैं।


मेघवाल ने यह भी संकेत दिया कि कभी-कभी अधिकारी अपनी सुरक्षा के लिए अदालत या कैट के आदेशों को चुनौती देने के लिए अपील करते हैं, क्योंकि फैसलों में उनके निर्णयों पर सवाल उठाए जाते हैं।


उन्होंने कहा कि उन्हें नियमित रूप से ऐसी फाइलें मिलती हैं, जिनमें केंद्रीय विभाग ठोस अदालती आदेशों के खिलाफ अपील करने की योजना बना रहे होते हैं।


इसके अलावा, उन्होंने सीएटी को ई-फाइलिंग और डिजिटल सुनवाई जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने की सलाह दी, ताकि न्याय प्रदान करने में भौगोलिक बाधाएं न आएं। उन्होंने न्यायाधिकरण की भूमिका की सराहना की, जो उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों पर मुकदमों का बोझ कम करने में मदद करती है।