सरकारी खजाने में रिकॉर्ड वृद्धि: ₹12.92 लाख करोड़ का डायरेक्ट टैक्स संग्रह
सरकारी खजाने में बहार!
सरकारी खजाने में बहार!
Gross Direct Tax Collections: बिहार विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल के परिणामों ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है, वहीं दूसरी ओर देश की आर्थिक स्थिति के लिए भी एक सकारात्मक संकेत मिला है। कई एग्जिट पोल एनडीए को बिहार में स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना जता रहे हैं, जबकि सरकारी खजाने में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस वित्त वर्ष में 10 नवंबर तक देश का नेट डायरेक्ट टैक्स संग्रह 7% बढ़ा है। इस अवधि में सरकार की कुल आय ₹12.92 लाख करोड़ रही है। यह आर्थिक मजबूती दर्शाता है, जो यह संकेत देता है कि देश में आर्थिक गतिविधियां सामान्य हो रही हैं और कंपनियों के साथ-साथ आम नागरिकों की आय भी बढ़ रही है।
Data on Gross Direct Tax Collections, Refunds and Net Direct Tax Collections for FY 2025-26 as on 10.11.2025 has been released.
The data is available on the national website of Income Tax Department at the following link:https://t.co/PJqfjrYJeL pic.twitter.com/fdJZjDbka5
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) November 11, 2025
कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत टैक्स में वृद्धि
इस उल्लेखनीय वृद्धि के पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला, कंपनियों से प्राप्त कॉर्पोरेट टैक्स में वृद्धि हुई है, जो पिछले वर्ष के ₹5.08 लाख करोड़ से बढ़कर ₹5.37 लाख करोड़ हो गया है। दूसरी ओर, नॉन-कॉर्पोरेट टैक्स, जिसमें व्यक्तिगत आयकर और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) का टैक्स शामिल है, ₹6.62 लाख करोड़ से बढ़कर ₹7.19 लाख करोड़ पर पहुंच गया है।
रिफंड जारी करने में कमी
हालांकि, इस पूरे परिदृश्य में एक दिलचस्प पहलू यह है कि सरकार ने टैक्स रिफंड जारी करने की गति को धीमा कर दिया है। इस अवधि में ₹2.42 लाख करोड़ के रिफंड जारी किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 18% कम हैं। रिफंड में यह कमी सरकार के ‘नेट’ कलेक्शन को बढ़ा हुआ दिखाती है। यदि रिफंड घटाने से पहले की कुल कमाई (ग्रॉस कलेक्शन) को देखें, तो वह ₹15.35 लाख करोड़ रही, जो पिछले वर्ष से 2.15% अधिक है।
शेयर बाजार से स्थिर आय
शेयर बाजार से होने वाली आय, यानी सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) लगभग स्थिर रहा। यह ₹35,923 करोड़ से मामूली घटकर ₹35,682 करोड़ रह गया, जो बाजार में कारोबार के स्थिर होने का संकेत देता है। टैक्स विशेषज्ञ और डेलॉयट इंडिया के पार्टनर, रोहिंटन सिधवा का कहना है कि यह देखना महत्वपूर्ण है कि पिछले वर्ष टैक्स दरों में महत्वपूर्ण कटौती के बावजूद व्यक्तिगत टैक्स कलेक्शन मजबूत बना हुआ है। हालांकि, उनका मानना है कि रिफंड में तेज गिरावट का मतलब यह हो सकता है कि कुछ करदाता अब टैक्स नेट में नहीं हैं, या सरकार ने जानबूझकर रिफंड की गति को नियंत्रित किया है।
