सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को खत्म करने का लिया फैसला, नई UPS योजना की घोषणा
पुरानी पेंशन योजना का अंत
पुरानी पेंशन योजना अब लागू नहीं होगी।
देशभर में लाखों सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (OPS) की पुनर्स्थापना की मांग कर रहे हैं। हालाँकि, केंद्र सरकार का हालिया रुख इस उम्मीद को समाप्त करता दिख रहा है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि OPS का पुनः आगमन नहीं होगा, बल्कि नई पेंशन योजना (NPS) और एकीकृत पेंशन योजना (UPS) ही भविष्य का मार्ग होंगी।
पुरानी पेंशन योजना का इतिहास
कहां से शुरू हुई बहस
जनवरी 2004 में केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को समाप्त कर राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) को लागू किया था। यह एक अंशदायी प्रणाली है, जिसमें कर्मचारी और सरकार दोनों अपने वेतन का एक हिस्सा जमा करते हैं। जबकि OPS में पूरी पेंशन सरकार द्वारा दी जाती थी, जो गैर-अंशदायी और गारंटीकृत थी। अब जब सेवानिवृत्त कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि हुई है, OPS सरकार के लिए एक वित्तीय चुनौती बन गई है।
नई UPS योजना का विवरण
21 साल बाद, कर्मचारियों की बढ़ती मांग के बीच केंद्र ने 1 अप्रैल 2025 से नई UPS योजना लागू करने का निर्णय लिया है, जिसमें NPS और OPS की कुछ विशेषताएँ शामिल हैं। UPS में योगदान देना अनिवार्य होगा, लेकिन पेंशन की एक न्यूनतम गारंटी भी प्रदान की जाएगी।
8वें वेतन आयोग में OPS का मुद्दा
8वें वेतन आयोग में OPS फिर उठा मुद्दा
कर्मचारी संघों ने 8वें वेतन आयोग के समक्ष OPS की वापसी को एक प्रमुख मुद्दा बनाया। लेकिन केंद्र सरकार ने दोहराया कि OPS की वापसी पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 8वें वेतन आयोग की शर्तों को मंजूरी दी गई, जिसमें एक बिंदु ने स्पष्ट कर दिया कि OPS पर अब कोई संभावना नहीं है।
वेतन आयोग की नई शर्तें
वेतन आयोग की शर्तों में छिपा बड़ा संकेत
नई शर्तों के अनुसार, आयोग को अपनी सिफारिशें तैयार करते समय गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की गैर-वित्तपोषित लागत पर विचार करना होगा। इसका अर्थ है कि सरकार उन योजनाओं को वित्तीय रूप से अस्थिर मानती है, जहां पूरा बोझ सरकारी खजाने पर पड़ता है। यही कारण है कि पुरानी पेंशन योजना को वित्तीय रूप से अस्थायी और असंतुलित कहा गया।
UPS और NPS का भविष्य
UPS और NPS: भविष्य की पेंशन नीति
एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार अब NPS और UPS को एक अधिक पारदर्शी और टिकाऊ पेंशन प्रणाली के रूप में देख रही है। UPS में NPS जैसी निवेश प्रणाली होगी, लेकिन साथ ही कर्मचारियों को एक न्यूनतम पेंशन सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी, जिससे रिटायरमेंट के बाद स्थिर आय सुनिश्चित हो सके। सरकार का मानना है कि यही मॉडल कर्मचारियों और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए संतुलित रहेगा।
OPS की वापसी की चुनौतियाँ
OPS की वापसी मुश्किल क्यों?
वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, यदि OPS को फिर से लागू किया गया, तो सरकारी बजट पर भारी दबाव पड़ेगा। कई राज्यों में पेंशन व्यय पहले ही कुल बजट का 20 से 25 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। यदि केंद्र भी OPS पर लौटता है, तो विकास योजनाओं और कल्याणकारी परियोजनाओं के लिए फंड की कमी हो सकती है।
