सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को दी मंजूरी, जानें इसके महत्व

8वें वेतन आयोग का गठन
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को स्वीकृति दे दी है। यह आयोग केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्तों, पेंशन और अन्य लाभों की समीक्षा करेगा और इसके आधार पर वेतन में वृद्धि की सिफारिश करेगा। यह आयोग अपनी रिपोर्ट 2026 तक प्रस्तुत करेगा। इस निर्णय को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। आइए जानते हैं कि वेतन आयोग क्या है, इसका गठन कैसे होता है और किन कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।
वेतन आयोग क्या है?
वेतन आयोग एक उच्च स्तरीय समिति है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा स्थापित किया जाता है। सबसे हालिया वेतन आयोग 2014 में गठित हुआ था, और इसकी सिफारिशें 2016 में लागू की गई थीं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार कर्मचारियों को सम्मानजनक और उचित वेतन मिले। यह सरकारी कर्मचारियों के आर्थिक कल्याण के लिए सुधारों की सिफारिश करता है, जिसमें कर्मचारी कल्याण नीतियां, पेंशन, भत्ते और अन्य लाभ शामिल होते हैं।
वेतन आयोग का गठन कैसे होता है?
आम तौर पर, वेतन आयोग का गठन हर 10 वर्ष में एक बार किया जाता है, लेकिन यह एक अनिवार्य प्रक्रिया नहीं है। सरकार आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार इसे 10 साल से पहले या बाद में भी गठित कर सकती है। इसका गठन किसी भी सरकार के कार्यकाल में आवश्यकतानुसार किया जा सकता है। इसके प्रमुख आमतौर पर कोई न्यायाधीश या उच्च पदस्थ अधिकारी होते हैं, जबकि अन्य सदस्य वेतन, वित्त, अर्थशास्त्र और मानव संसाधन प्रबंधन के विशेषज्ञ होते हैं।
किन कर्मचारियों को नहीं मिलेगा लाभ
7वें वेतन आयोग के अनुसार, सिविल सर्विसेज के अंतर्गत आने वाले सभी कर्मचारी इस आयोग के दायरे में आते हैं, जिन्हें देश के कंसॉलिडेटेड फंड से वेतन मिलता है। हालांकि, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSUs) और स्वायत्त निकायों के कर्मचारी तथा ग्रामीण डाक सेवक इस आयोग के दायरे में नहीं आते।