समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पर पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का बयान

समान नागरिक संहिता का समर्थन
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के पक्ष में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि संविधान में यूसीसी की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। 65 वर्षीय चंद्रचूड़ ने मुंबई में मीडिया से बातचीत करते हुए यह विचार साझा किए। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूसीसी को लागू करने से पहले देश के सभी वर्गों को विश्वास में लेना आवश्यक है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह सभी के हित में हो। उन्होंने कहा, "संविधान की इस महत्वाकांक्षा को साकार करना अब जरूरी है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि समाज के सभी हिस्से इस प्रक्रिया में शामिल हों।"
समान नागरिक संहिता की परिभाषा
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून स्थापित करना है, जो धर्म, जाति, पंथ या लिंग से परे हो। इसमें विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे मुद्दे शामिल हैं। इसका उल्लेख संविधान के भाग IV में किया गया है।
संविधान में यूसीसी का उल्लेख
संविधान का अनुच्छेद 44, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है, समान नागरिक संहिता का उल्लेख करता है। इसमें कहा गया है कि राज्य नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा। वर्तमान में गोवा और उत्तराखंड में यूसीसी लागू है, और कई भाजपा शासित राज्य भी इसे लागू करने पर विचार कर रहे हैं। केंद्र की भाजपा-नीत सरकार ने भी यूसीसी को लागू करने का समर्थन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि धर्म, जाति और पंथ के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने के लिए देश को यूसीसी अपनाना चाहिए।