सनातन धर्म के आठ अमर व्यक्तित्व: हनुमान जी और अन्य चिरंजीवी

सनातन धर्म में भगवान हनुमान जी को अमरता का वरदान प्राप्त है, और वे अकेले नहीं हैं। इस लेख में हम जानेंगे हनुमान जी के अलावा सात अन्य चिरंजीवी व्यक्तित्वों के बारे में, जो आज भी जीवित माने जाते हैं। इन अमर व्यक्तित्वों की कहानियाँ और उनके योगदान को जानकर आप भी आश्चर्यचकित रह जाएंगे।
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सनातन धर्म के आठ अमर व्यक्तित्व: हनुमान जी और अन्य चिरंजीवी

सनातन धर्म में चिरंजीवी व्यक्तित्व

सनातन धर्म के आठ अमर व्यक्तित्व: हनुमान जी और अन्य चिरंजीवी


सनातन धर्म में भगवान हनुमान जी को शिवजी का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है। उन्हें चिरंजीवी का वरदान प्राप्त है, जिसका अर्थ है कि वे अमर हैं। मान्यता है कि हनुमान जी आज भी इस धरती पर विद्यमान हैं। इसके अलावा, उनके साथ सात अन्य चिरंजीवी भी हैं, जो जीवित माने जाते हैं। आइए, इन आठ अमर व्यक्तित्वों के बारे में जानते हैं।


1. हनुमान जी

भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले हनुमान जी को भगवान श्रीराम ने अमरत्व का वरदान दिया। जब श्रीराम बैकुंठ जाने लगे, तब हनुमान जी ने प्रार्थना की कि वे धरती पर रहकर राम भक्तों की सेवा करना चाहते हैं। श्रीराम ने उनकी इच्छा को स्वीकार किया।


2. परशुराम जी

भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी, शिवजी के अनन्य भक्त हैं। उनकी घोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें फरसा और अमरत्व का आशीर्वाद दिया। माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं और कल्कि अवतार में अस्त्र-शस्त्र प्रदान करेंगे।


3. विभीषण

रावण के छोटे भाई विभीषण ने श्रीराम की लंका विजय में सहायता की। देवी सीता की मुक्ति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। श्रीराम ने उन्हें लंका का राजा बना दिया और अमर रहने का वरदान दिया।


4. राजा बलि

दैत्यों के शक्तिशाली राजा बलि ने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त की थी। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर उनसे तीन पग भूमि मांगी और पाताल लोक उन्हें दे दिया। मान्यता है कि राजा बलि आज भी पाताल लोक में निवास करते हैं।


5. ऋषि मार्कण्डेय

भोलेनाथ के परम भक्त ऋषि मार्कण्डेय ने महामृत्युंजय मंत्र की सिद्धि की थी। भगवान शिव ने उन्हें अजर-अमर होने का आशीर्वाद दिया।


6. महर्षि वेद व्यास

कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास जी को विष्णु का अंश माना जाता है। उन्होंने वेदों का संकलन और महाभारत की रचना की। वे कलियुग के अंत तक जीवित रहेंगे और कल्कि अवतार के साथ प्रकट होंगे।


7. अश्वत्थामा

गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा महाभारत युद्ध में कौरव पक्ष के सेनापति थे। श्रीकृष्ण द्वारा श्रापित होकर वे अनंत काल तक पृथ्वी पर भटकने के लिए बाध्य हैं।


8. कृपाचार्य

कौरव और पांडव दोनों के गुरु कृपाचार्य को उनके पुण्य और तपस्या के कारण अमरत्व प्राप्त हुआ। उन्हें सप्तऋषियों में गिना जाता है और वे आज भी जीवित हैं।