सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख दंगों का मामला: अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा

राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख दंगों के मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रखा है। यह मामला जनकपुरी और विकासपुरी पुलिस स्टेशनों में दर्ज एफआईआर से संबंधित है। अदालत ने सुनवाई के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की है। सज्जन कुमार को 2023 में हत्या के आरोपों से बरी किया गया था, लेकिन अब उन्हें फिर से अदालत में पेश किया गया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और सज्जन कुमार के बचाव में पेश की गई दलीलों के बारे में।
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सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख दंगों का मामला: अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा

सज्जन कुमार के मामले में अदालत का निर्णय

राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ 1984 के सिख दंगों से संबंधित मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रखा। यह मामला जनकपुरी और विकासपुरी पुलिस थानों में दर्ज एफआईआर से जुड़ा हुआ है। अदालत ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 22 जनवरी की तारीख निर्धारित की है। सज्जन कुमार को 2023 में हत्या के आरोपों से बरी किया गया था। जनकपुरी मामला 1 नवंबर, 1984 को दो सिखों, सोहन सिंह और उनके दामाद अवतार सिंह की हत्या से संबंधित है। दूसरा मामला 2 नवंबर, 1984 को गुरचरण सिंह को जलाने से संबंधित है, जो विकासपुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था।


अदालत की सुनवाई और दलीलें

विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह ने सज्जन कुमार के वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक की अंतिम दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रखा। अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) मनीष रावत ने पेशी दी। सज्जन कुमार की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार शर्मा, अपूर्व शर्मा और एस ए हाश्मी उपस्थित थे। दंगा पीड़ितों की ओर से अधिवक्ता सुरप्रीत कौर ने भी अपनी बात रखी। 7 जुलाई को बयान दर्ज करते समय सज्जन कुमार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया। उन्होंने अदालत में कहा कि वे दंगों के स्थल पर नहीं थे और उन्हें झूठा फंसाया गया है।


सज्जन कुमार को बरी करने का मामला

अदालत ने 23 अगस्त, 2023 को सज्जन कुमार को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था। न्यायालय ने सज्जन कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 147 (दंगा करने का दंड), 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा करना), 149 (गैरकानूनी सभा के किसी सदस्य द्वारा उस सभा के सामान्य उद्देश्य की पूर्ति में किया गया अपराध), 153 (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 295 (किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को चोट पहुंचाना या अपवित्र करना), 307 (हत्या का प्रयास), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए दंड), 395 (डकैती का दंड) और 426 (उपद्रव का दंड) आदि के तहत आरोप तय किए थे।