सऊदी अरब में शादी से पहले सेक्स पर सख्त पाबंदियाँ

सऊदी अरब में शादी से पहले यौन संबंधों पर सख्त पाबंदियाँ हैं, जो अविवाहित जोड़ों के लिए गंभीर सजा का कारण बनती हैं। शरिया कानून के तहत, अवैध यौन संबंधों को गंभीर अपराध माना जाता है, जिसके लिए 100 कोड़े या मौत की सजा हो सकती है। इस कानून का प्रभाव समाज में वर्जिनिटी की दर को बढ़ाता है, जिससे युवा शादी तक इंतजार करते हैं। महिलाओं के लिए नियम और भी कठोर हैं, और कई मामलों में उन्हें सजा का सामना करना पड़ता है। जानें इस विषय पर और अधिक जानकारी।
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सऊदी अरब में शादी से पहले सेक्स पर सख्त पाबंदियाँ

सऊदी अरब में सेक्स पर प्रतिबंध

दुनिया के कई देशों में शादी से पहले यौन संबंधों पर प्रतिबंध है, लेकिन सऊदी अरब इस मामले में सबसे कठोर है। यहां यदि कोई युगल इस तरह की गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है, तो उन्हें 100 कोड़े या यहां तक कि मौत की सजा का सामना करना पड़ सकता है।


शरिया कानून और वर्जिनिटी

सऊदी अरब में वर्जिनिटी की दर सबसे अधिक है, क्योंकि शरिया कानून के अनुसार अवैध यौन संबंध को गंभीर अपराध माना जाता है। युवा लोग इस डर से शादी तक इंतजार करते हैं। अविवाहित जोड़ों के बीच शारीरिक संबंध को गंभीर अपराध माना जाता है, जिसके लिए अविवाहित व्यक्तियों को 100 कोड़े और विवाहित व्यक्तियों को पत्थर मारकर मौत की सजा हो सकती है। यह कानून न केवल यौन स्वतंत्रता को सीमित करता है, बल्कि समाज में वर्जिनिटी की दर को भी ऊंचा बनाए रखता है। वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार, सऊदी अरब जैसे इस्लामिक देशों में युवाओं की औसत उम्र जब वे वर्जिनिटी खोते हैं, वह 25-30 वर्ष के बीच होती है, जो कि विश्व में सबसे अधिक है।


महिलाओं के लिए कठोर नियम

सऊदी अरब, जो मध्य पूर्व का एक तेल समृद्ध देश है, यहां इस्लाम का सबसे कठोर वाहाबी संप्रदाय लागू है। यहां पुरुषों और महिलाओं के बीच सख्त अलगाव है। लिव-इन रिलेशनशिप या प्री-मैरिटल सेक्स को अपराध माना जाता है। शरिया कोर्ट में सजा साबित करने के लिए चार गवाहों की आवश्यकता होती है, या आरोपी का कबूलनामा भी पर्याप्त होता है। कई मामलों में जबरन कबूलनामा लिया जाता है। 2025 में भी यह कानून लागू रहेगा, हालांकि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के सुधारों के कारण कुछ राहत मिली है, जैसे विदेशी पर्यटकों को होटल रूम साझा करने की अनुमति।


सजा की भयावहता

स्थानीय लोगों के लिए सजा आज भी उतनी ही डरावनी है। एक चौंकाने वाले मामले में, 2007 में एक गैंग रेप की शिकार 19 वर्षीय लड़की को ही सजा दी गई। उसे 200 कोड़े और जेल की सजा मिली क्योंकि वह आरोपी के साथ अकेली थी। इसी तरह, 2009 में एक 23 वर्षीय अविवाहित लड़की को रेप की शिकायत करने पर व्यभिचार का दोषी मानकर 100 कोड़े और एक साल की जेल की सजा सुनाई गई। गर्भावस्था को यौन संबंध का सबूत माना जाता है, जिसके कारण अविवाहित गर्भवती महिलाएं अपने नवजात बच्चों को सड़कों पर छोड़ देती हैं ताकि वे सजा से बच सकें।