संस्कृत को संचार का माध्यम बनाने की आवश्यकता: मोहन भागवत

संस्कृत का महत्व
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 को कहा कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की नींव है और इसे संचार का एक प्रमुख माध्यम बनाना आवश्यक है। उन्होंने संस्कृत के संरक्षण और इसके प्रचार की आवश्यकता पर जोर दिया, यह बताते हुए कि यह हमारी भावनाओं को विकसित करने में सहायक है।
कालीदास संस्कृत विश्वविद्यालय में उद्घाटन समारोह
नागपुर में कवि कुलगुरु कालीदास संस्कृत विश्वविद्यालय में एक नए भवन के उद्घाटन के अवसर पर भागवत ने कहा कि संस्कृत को समझने और उसमें संवाद करने की क्षमता में अंतर होता है। उन्होंने बताया कि संस्कृत विश्वविद्यालय को सरकारी संरक्षण मिलेगा, लेकिन जनता का समर्थन भी आवश्यक है।
संस्कृत: सभी भाषाओं की जननी
भागवत ने कहा कि संस्कृत भारत की सभी भाषाओं की जननी है और इसे बढ़ावा देने के लिए लोगों को इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमें इसे दैनिक संवाद में बोलना सीखना होगा।"
आत्मनिर्भरता और स्वत्व
भागवत ने आत्मनिर्भर बनने और स्वबल प्रदर्शित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, यह बताते हुए कि इसके लिए हमें अपनी बुद्धि और ज्ञान का विकास करना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत उसका स्वत्व है, जो व्यक्तिगत रूप से अभिव्यक्त होता है।
संस्कृत का ज्ञान और वैश्विक परिवार
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संस्कृत का ज्ञान देश को समझने के समान है। उन्होंने अभिनव भारती अंतरराष्ट्रीय अकादमिक भवन का उद्घाटन किया और बताया कि पश्चिमी समाज वैश्विक बाजार की बात करता है, जबकि हम वैश्विक परिवार की अवधारणा को मानते हैं, जो 'वसुधैव कुटुम्बकम' के सिद्धांत पर आधारित है।
वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा
भागवत ने कहा कि पश्चिमी देशों ने वैश्विक बाजार का विचार विकसित किया था, जो अब विफल हो चुका है। उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी के दौरान भारत के विषय 'वसुधैव कुटुम्बकम' पर भी चर्चा की। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संस्कृत की समृद्ध विरासत पर प्रकाश डालते हुए अपनी सरकार की ओर से सहयोग का आश्वासन दिया।