संस्कृत के संरक्षण और प्रचार के लिए विशेष शिविर का आयोजन

संस्कृतभारती द्वारा आयोजित संस्कृत प्रशिक्षण शिविर का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा का संरक्षण और प्रचार करना है। यह शिविर 02 से 10 जनवरी 2026 तक रेवाड़ी में होगा, जिसमें हरियाणा के 22 जिलों के छात्र-छात्राएं भाग लेंगे। शिविर में प्रतिभागियों को मात्र 10 दिनों में संस्कृत बोलने और लिखने की क्षमता विकसित करने का अवसर मिलेगा। इस कार्यक्रम का आयोजन शीतकालीन अवकाशों में किया जा रहा है, जिससे विद्यार्थियों का समय का सदुपयोग हो सके।
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संस्कृत के संरक्षण और प्रचार के लिए विशेष शिविर का आयोजन

संस्कृत का महत्व और नई शिक्षा नीति

भारतीय ज्ञान परंपरा की नींव संस्कृत भाषा पर आधारित है। सभी ज्ञान और विज्ञान की जानकारी संस्कृत ग्रंथों में समाहित है। वर्तमान सरकार भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है, जिसके तहत नई शिक्षा नीति 2020 में संस्कृत और इससे संबंधित ज्ञान के प्रसार को प्राथमिकता दी गई है।


संस्कृतभारती का कार्य

संस्कृतभारती एक सामाजिक संगठन है, जो न केवल भारत में बल्कि 28 देशों में संस्कृत के संरक्षण और प्रचार के लिए सक्रिय है।


संस्कृत प्रशिक्षण शिविर

संस्कृतभारती द्वारा भारत और विदेशों में संस्कृत संवाद के प्रशिक्षण के लिए शिविर आयोजित किए जाते हैं। इन शिविरों में भाग लेने वाले छात्र मात्र दस दिनों में संस्कृत बोलने और लिखने में सक्षम हो जाते हैं। हरियाणा के प्रांत प्रशिक्षण प्रमुख, ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन शर्मा ने कैथल में कार्यकर्ताओं को बताया कि आगामी संस्कृत प्रबोधन वर्ग रेवाड़ी के सनग्लो इंटरनेशनल स्कूल में 02 से 10 जनवरी 2026 तक आयोजित किया जाएगा। इस वर्ग में हरियाणा के 22 जिलों के विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएं भाग लेंगे।


शिविर की विशेषताएँ

डॉ. सोमेश्वर दत्त, हरियाणा के प्रांताध्यक्ष ने बताया कि ये शिविर शीतकालीन अवकाशों में आयोजित होते हैं, जिससे विद्यार्थियों का अवकाश का सही उपयोग हो सके। शिविर में सुबह से शाम तक संस्कृत का वातावरण बना रहता है। व्यावहारिक संस्कृत व्याकरण का ज्ञान भी प्रदान किया जाता है, जिससे प्रतिभागी कुछ ही दिनों में संस्कृत बोलने में सक्षम हो जाते हैं और उनके लेखन कौशल में भी सुधार होता है।


प्रशिक्षकों की टीम

प्रांत मंत्री प्रमोद शास्त्री ने बताया कि शिविर में सहमंत्री ईशमसिंह, भूपेन्द्र, पुष्पेन्द्र आत्रेय, संस्कृत सेवक अजयशास्त्री, गुरजीत शास्त्री, प्रचार प्रमुख सतेन्द्र, सुरेन्द्र शास्त्री आदि प्रशिक्षक के रूप में कार्य करेंगे। इस शिविर में गुरुग्राम विभाग संयोजक प्रवेश कौशिक व्यवस्था प्रमुख के रूप में रहेंगे।