संसद का मानसून सत्र: महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा के लिए बढ़ी अवधि

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा, जिसमें कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा की जाएगी। इस सत्र में सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश को सुगम बनाने के लिए विधेयक लाने की योजना बना रही है। विपक्ष ने भी कई मुद्दों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दावे शामिल हैं। जानें इस सत्र के दौरान क्या महत्वपूर्ण होने वाला है।
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संसद का मानसून सत्र: महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा के लिए बढ़ी अवधि

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से आरंभ होकर 21 अगस्त तक चलेगा। यह सत्र पहले से निर्धारित समय से एक सप्ताह अधिक चलेगा, जिससे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।


सत्र की मंजूरी और विशेष तिथियाँ

संसदीय कार्यमंत्री किरेन रीजीजू ने जानकारी दी कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्होंने ‘एक्स’ पर साझा की गई पोस्ट में बताया कि स्वतंत्रता दिवस समारोह के कारण 13 और 14 अगस्त को कोई बैठक नहीं होगी। पहले यह सत्र 12 अगस्त को समाप्त होने वाला था, लेकिन अब इसे एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है।


महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा

सत्र की अवधि बढ़ाने का निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश को सुगम बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण विधेयक लाने की योजना बना रही है।


सरकार, केंद्रीय बजट में की गई घोषणा के अनुसार, परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने के लिए परमाणुवीय नुकसान के लिए सिविल दायित्व अधिनियम, 2010 और परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन करने की योजना बना रही है।


विपक्ष की मांगें

विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग कर रहा है, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान में आतंकवादियों के ठिकानों पर की गई कार्रवाई थी।


इसके अलावा, विपक्षी दल भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान परमाणु युद्ध को टालने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के दावों पर भी सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहे हैं। सरकार ने ट्रंप के दावों को खारिज कर दिया है।


प्रधानमंत्री मोदी का बयान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने ट्रंप से फोन पर कहा था कि भारत ने कभी भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है और भविष्य में भी ऐसा नहीं करेगा। मोदी ने यह भी बताया कि सैन्य कार्रवाई रोकने का निर्णय पाकिस्तान के अनुरोध पर लिया गया था।