संविधान दिवस पर राज्यपाल और प्रधानमंत्री का संदेश: लोकतंत्र की मजबूती का जश्न
संविधान की महत्ता पर राज्यपाल का बयान
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बुधवार को कहा कि भारतीय संविधान ने अपने निर्माण के बाद से समय की कसौटी पर खुद को साबित किया है। उन्होंने इसे भारत के लोकतांत्रिक अस्तित्व की सुरक्षा दीवार बताया। राज्यपाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम सभी को अपने संविधान पर गर्व है, जो न केवल एक विस्तृत रूप से तैयार किया गया दस्तावेज है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि संविधान के दायरे में राष्ट्र सुरक्षित है।
संविधान दिवस का महत्व
हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है, जो 1949 में संविधान को अपनाने की याद दिलाता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने संवैधानिक कर्तव्यों पर ध्यान देने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भागीदारी को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान सभा के कार्यों और डॉ. बी.आर. अंबेडकर के नेतृत्व में प्रारूप समिति के योगदान को याद किया। उन्होंने 2010 में संविधान की 60वीं वर्षगांठ का भी उल्लेख किया, जब गुजरात में संविधान गौरव यात्रा का आयोजन किया गया था।
संविधान की 75वीं वर्षगांठ
प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले वर्ष संविधान की 75वीं वर्षगांठ को संसद के विशेष सत्र और विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया गया था। इस वर्ष का संविधान दिवस सरदार वल्लभभाई पटेल और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के साथ मेल खाता है। उन्होंने अनुच्छेद 370 से जुड़े फैसलों और रियासतों के एकीकरण में पटेल की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
भविष्य की दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने अनुच्छेद 51ए में मौलिक कर्तव्यों पर जोर देते हुए कहा कि ये कर्तव्य सामाजिक और आर्थिक विकास को दिशा प्रदान करते हैं। उन्होंने 2047 और 2049 के महत्व को भी रेखांकित किया, जो स्वतंत्रता और संविधान के अंगीकरण के 100 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है।
