संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी का नागरिकों के नाम प्रेरणादायक संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस पर नागरिकों के नाम एक प्रेरणादायक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने संवैधानिक कर्तव्यों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि संविधान एक पवित्र दस्तावेज है जो देश की दिशा निर्धारित करता है। इस वर्ष का संविधान दिवस सरदार पटेल और बिरसा मुंडा की जयंती के साथ-साथ कई ऐतिहासिक मील के पत्थरों का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने युवाओं को मतदान के महत्व के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। जानें उनके पत्र में और क्या कहा गया है।
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संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी का नागरिकों के नाम प्रेरणादायक संदेश

प्रधानमंत्री का पत्र: संवैधानिक कर्तव्यों का महत्व

संविधान दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों के लिए एक विशेष पत्र जारी किया, जिसमें उन्होंने लोगों से अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करने की अपील की। उनका मानना है कि यह कर्तव्य निभाना एक विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उल्लेखनीय है कि 2015 में केंद्र सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था, और तब से यह दिन देश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है।


संविधान का महत्व और प्रधानमंत्री की यादें

प्रधानमंत्री ने अपने पत्र में कहा कि भारत का संविधान एक पवित्र दस्तावेज है, जो दशकों से देश की दिशा निर्धारित करता आ रहा है और जिसे लोग अत्यधिक सम्मान देते हैं। उन्होंने 2014 में संसद भवन के बाहर सीढ़ियों को नमन करने और 2019 में संविधान की प्रति को माथे से लगाने की अपनी यादें साझा कीं। उनके अनुसार, यह संविधान ही है जिसने एक साधारण परिवार से आए व्यक्ति को देश की सेवा करने का अवसर प्रदान किया है।


इस वर्ष का संविधान दिवस विशेष क्यों है?

इस वर्ष का संविधान दिवस कई मायनों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सरदार वल्लभभाई पटेल और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का वर्ष है। प्रधानमंत्री ने लिखा कि पटेल की दूरदर्शिता ने देश के एकीकरण को संभव बनाया और उनके साहस ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने का मार्ग प्रशस्त किया। बिरसा मुंडा का संघर्ष आदिवासी समुदायों के अधिकारों और न्याय के लिए प्रेरणा बना हुआ है।


ऐतिहासिक मील के पत्थर और कर्तव्यों की याद

यह वर्ष वंदे मातरम् के 150 वर्षों और गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ के रूप में भी मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये ऐतिहासिक मील के पत्थर हमें अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देने की याद दिलाते हैं, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 51ए में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है।


भविष्य की दिशा और मतदान का महत्व

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि 2049 में संविधान अंगीकार किए जाने के 100 वर्ष पूरे होंगे, और आज के निर्णय आने वाली पीढ़ियों का भविष्य तय करेंगे। इसलिए नागरिकों को हमेशा देशहित को ध्यान में रखकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। उन्होंने मतदान के महत्व पर जोर देते हुए सुझाव दिया कि स्कूलों और कॉलेजों में संविधान दिवस के अवसर पर 18 वर्ष के नए मतदाताओं का सम्मान किया जाना चाहिए, ताकि युवाओं में लोकतंत्र के प्रति जिम्मेदारी का भाव मजबूत हो सके।


युवाओं की जिम्मेदारी और जागरूकता

प्रधानमंत्री के अनुसार, जब देश का युवा अपनी जिम्मेदारियों को समझता है, तभी एक मजबूत और जागरूक राष्ट्र का निर्माण संभव होता है। इसी भावना के साथ आगे बढ़ना आज की आवश्यकता बन गई है।