संजय सिंह ने RSS के शताब्दी वर्ष पर उठाए तीखे सवाल

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) अपने 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है, लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने इस अवसर पर कई तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने संघ में दलितों और महिलाओं की अनुपस्थिति, मुस्लिम लीग के साथ सरकार बनाने, और तिरंगे के विरोध जैसे मुद्दों पर सवाल खड़े किए हैं। जानें संजय सिंह के सवाल और RSS का इतिहास, जो स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज के भारत में महत्वपूर्ण रहा है।
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संजय सिंह ने RSS के शताब्दी वर्ष पर उठाए तीखे सवाल

RSS के 100 वर्ष: संजय सिंह के सवाल

संजय सिंह ने RSS के शताब्दी वर्ष पर उठाए तीखे सवाल

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) अपने 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है, जिसके तहत देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस अवसर पर आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने संघ पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, 'जो राष्ट्र के नहीं हुए, हम उनके नहीं।' संजय सिंह ने संघ के प्रमुख बनने में दलितों की अनुपस्थिति, मुस्लिम लीग के साथ सरकार बनाने, क्रांतिकारियों की मुखबिरी, और तिरंगे के विरोध जैसे मुद्दों पर 7 सवाल किए हैं।

पहला और दूसरा सवाल
संजय सिंह ने कहा कि RSS के 100 साल पूरे होने पर उनके कुछ सवाल हैं, जो तीखे और सच्चे हैं। उन्होंने पहला सवाल पूछा कि 100 वर्षों में संघ में इस देश के 85 प्रतिशत लोगों की भागीदारी क्यों नहीं हुई? दूसरा सवाल था कि इस अवधि में एक भी दलित, आदिवासी या पिछड़े वर्ग का व्यक्ति संघ का प्रमुख क्यों नहीं बना?

दकियानूसी सोच का आरोप
संजय सिंह ने आरोप लगाया कि 'दलित, आदिवासी या पिछड़े वर्ग की बात छोड़िए, आज तक एक भी महिला भी आरएसएस की प्रमुख नहीं रही है।' उन्होंने इसे दकियानूसी और संकुचित सोच वाला संगठन करार दिया, जो संविधान और आरक्षण के खिलाफ है।

अन्य सवाल क्या हैं?
तीसरा सवाल था कि जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सरकार क्यों बनाई गई? चौथा सवाल था कि आजादी के आंदोलन में क्रांतिकारियों की मुखबिरी क्यों की गई? पांचवां सवाल था कि संघ के सदस्यों को अंग्रेजों की सेना में भर्ती क्यों कराया गया? छठा सवाल था कि तिरंगे झंडे का विरोध क्यों किया गया? और सातवां सवाल था कि RSS के मुख्यालय पर 52 साल तक तिरंगा क्यों नहीं फहराया गया?

RSS के काले सच से मुंह नहीं मोड़ सकती, आप
संजय सिंह ने कहा, 'यह इतिहास का एक काला सच है, जिसे RSS कभी नकार नहीं सकती। जब आप 100 साल पूरे होने पर सुनते हैं कि प्रधानमंत्री टिकट जारी करने जा रहे हैं और पाठ्यक्रमों में RSS का इतिहास पढ़ाया जाएगा, तो यह नहीं बताया जाएगा कि इस संगठन ने आजादी की लड़ाई में देश के साथ गद्दारी की है।'

RSS का इतिहास
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का गठन 27 सितंबर 1925 को नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य भारत को एक संगठित, मजबूत और सांस्कृतिक रूप से जागरूक राष्ट्र बनाना था। पिछले 100 वर्षों में RSS ने सांस्कृतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राष्ट्र निर्माण के कई क्षेत्रों में योगदान दिया है। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज के भारत में संघ की भूमिका पर निरंतर चर्चा होती रही है।