श्रीनगर के पोस्टर से खुला आतंकवादियों का बड़ा नेटवर्क

दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके ने पूरे देश को हिला दिया। इस घटना की जांच में श्रीनगर के एक पोस्टर ने आतंकवादियों के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया। जम्मू-कश्मीर पुलिस की सूझबूझ से देश को एक बड़े हमले से बचा लिया गया। जानें कैसे इस जांच ने आतंकवादियों के एक 'डॉक्टर्स गैंग' का खुलासा किया और किस तरह से यह नेटवर्क विदेश में बैठे हैंडलर्स द्वारा संचालित हो रहा था।
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श्रीनगर के पोस्टर से खुला आतंकवादियों का बड़ा नेटवर्क

दिल्ली धमाके की जांच में नया मोड़

श्रीनगर के पोस्टर से खुला आतंकवादियों का बड़ा नेटवर्क

श्रीनगर में चिपके पोस्ट के तार दिल्ली धमाकों से जुड़े।

दिल्ली के लाल किले के निकट हुए कार बम विस्फोट ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस घटना में 12 लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए। इसके बाद राजधानी में आतंक का माहौल बन गया। सभी के मन में एक ही सवाल था, यह घटना कैसे हुई? इसके पीछे कौन था? क्या यह एक बड़ी आतंकी साजिश थी या किसी की गलती का नतीजा?

इन सवालों के जवाब खोजने के लिए दिल्ली पुलिस, एनआईए और अन्य खुफिया एजेंसियां जांच में जुट गई हैं। प्रारंभिक रिपोर्टों में जो जानकारी सामने आई है, वह किसी थ्रिलर फिल्म की कहानी जैसी है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि देश को एक बड़े हमले से बचा लिया गया, जिसका श्रेय जम्मू-कश्मीर पुलिस को जाता है।

एक छोटा पोस्टर बना सुराग, जिसने बचा लिया देश

इस पूरी कहानी की शुरुआत श्रीनगर के नौगाम क्षेत्र से होती है। 18 अक्टूबर को, कुछ लोगों ने दीवारों पर जैश-ए-मोहम्मद के धमकी भरे पोस्टर देखे। इन पोस्टर्स में सुरक्षाबलों को चेतावनी दी गई थी कि ‘जल्द ही उन्हें सबक सिखाया जाएगा।’ जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया और एक छोटी टीम ने जांच शुरू की, जिसने 800 किलोमीटर दूर फरीदाबाद में एक आतंकवादी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया।

पुलिस ने पोस्टर्स पर लिखे संदेशों और उनमें छिपे एन्क्रिप्टेड कोड्स का विश्लेषण किया। इन कोड्स को समझने में टीम को लगभग 21 दिन लगे। जब कोड्स डिकोड हुए, तो पता चला कि विदेश में बैठे हैंडलर्स भारत में एक बड़े हमले की योजना बना रहे थे।

पोस्टर से शुरू जांच फरीदाबाद तक पहुंची

जांच का दायरा बढ़ता गया। श्रीनगर से कुछ ओवरग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार किया गया। उनसे पूछताछ में पता चला कि कई शिक्षित लोग, जैसे डॉक्टर्स, मौलवी और छात्र, जैश के संपर्क में हैं। पुलिस ने जब इन सुरागों को जोड़ना शुरू किया, तो उन्हें एक ‘डी गैंग’ के बारे में जानकारी मिली, जिसे ‘डॉक्टर्स गैंग’ कहा गया, जो जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम कर रहा था।

सहारनपुर से डॉक्टर आदिल अहमद राठर गिरफ्तार

6 नवंबर को, सहारनपुर में डॉक्टर आदिल अहमद राठर को जम्मू-कश्मीर पुलिस और यूपी पुलिस की संयुक्त टीम ने गिरफ्तार किया। राठर पेशे से डॉक्टर था, लेकिन गुप्त रूप से जैश मॉड्यूल के संपर्क में था। उससे मिली जानकारी ने जांच को फरीदाबाद तक पहुंचाया।

2900 किलो विस्फोटक का खुलासा

जब मुजम्मिल से पूछताछ की गई, तो उसने बताया कि उसने अपने फरीदाबाद वाले घर में करीब 2900 किलो विस्फोटक सामग्री छिपा रखी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तुरंत हरियाणा पुलिस से संपर्क किया और एक संयुक्त अभियान चलाया। कई घंटे की तलाशी के बाद, पुलिस ने उस घर से विस्फोटक, इलेक्ट्रॉनिक टाइमर और विस्फोट के लिए रसायन बरामद किए। यह वही समय था जब दिल्ली में हमले की तैयारियां अंतिम चरण में थीं।

‘डॉक्टर्स ऑफ टेरर’ के नेटवर्क का खुलासा

फरीदाबाद की जांच से यह स्पष्ट हो गया कि यह कोई सामान्य आतंकी मॉड्यूल नहीं था। यह एक डॉक्टरों का नेटवर्क था, जो आतंक के लिए अपने ज्ञान का उपयोग कर रहे थे।

इस नेटवर्क में तीन प्रमुख नाम सामने आए –

  • डॉ. अदील अहमद राठर (सहारनपुर)
  • डॉ. मुजम्मिल शकील (फरीदाबाद)
  • डॉ. शाहीन शाहिद (दिल्ली)

इन तीनों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन चौथा सदस्य डॉ. उमर महमूद भागने में सफल रहा। पुलिस को पता चला कि उमर ने ही दिल्ली में कार ब्लास्ट किया। सूत्रों के अनुसार, उसने यह धमाका घबराहट में किया।

दिल्ली ब्लास्ट: गलती या साजिश?

पुलिस के अनुसार, जब फरीदाबाद मॉड्यूल का खुलासा हुआ, तो उमर को लगा कि पुलिस उसे पकड़ लेगी। घबराकर उसने लाल किला क्षेत्र में कार खड़ी की और विस्फोटकों को सक्रिय कर दिया। धमाका इतना जोरदार था कि आस-पास की दीवारें हिल गईं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर विस्फोट योजनाबद्ध तरीके से किया गया होता, तो नुकसान कई गुना अधिक होता।

जांच में यह भी सामने आया कि यह नेटवर्क विदेश में बैठे हैंडलर्स द्वारा संचालित हो रहा था। ये हैंडलर्स टेलीग्राम, सिग्नल और डार्क वेब जैसे एन्क्रिप्टेड चैनलों के जरिए निर्देश दे रहे थे।

कैसे एक जांच ने देश को बचा लिया

अगर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने श्रीनगर के पोस्टर मामले को गंभीरता से न लिया होता, तो देश एक बड़े आतंकवादी हमले का शिकार हो सकता था। उनकी तफ्तीश ने न केवल इस मॉड्यूल को खत्म किया बल्कि दिल्ली-एनसीआर को एक विनाशकारी हादसे से भी बचा लिया।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी कई एंगल से कर रही जांच

वर्तमान में, जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या लाल किला ब्लास्ट में मारा गया व्यक्ति वास्तव में डॉ. उमर महमूद था। इसके लिए उसकी मां का डीएनए सैंपल लिया गया है। साथ ही, उसके दो भाइयों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस केस को अपने हाथ में ले लिया है।