श्याम कुंड: खाटू श्याम का रहस्य और धार्मिक मान्यताएं

इस लेख में हम खाटू श्याम के श्याम कुंड के रहस्य और धार्मिक मान्यताओं के बारे में जानेंगे। यह कुंड न केवल श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके स्नान के कई पुण्य भी बताए जाते हैं। जानें कि कैसे बर्बरीक का शीश यहां प्रकट हुआ और इस कुंड का पानी क्यों चमत्कारी माना जाता है।
 | 
श्याम कुंड: खाटू श्याम का रहस्य और धार्मिक मान्यताएं

श्याम कुंड का परिचय

श्याम कुंड: खाटू श्याम का रहस्य और धार्मिक मान्यताएं

श्याम कुंड


खाटू श्याम कुंड: बाबा खाटू श्याम, जिन्हें हारे का सहारा माना जाता है, को कलियुग का देवता माना जाता है। राजस्थान में स्थित खाटू जी का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है, जहां भक्त दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। 1 नवंबर को खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है, और इस अवसर पर सीकर में भक्तों की भारी भीड़ होती है। कहा जाता है कि श्याम कुंड में स्नान किए बिना खाटू बाबा के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। आइए, इस लेख में हम श्याम कुंड के रहस्य के बारे में जानते हैं।


खाटू श्याम के श्याम कुंड का रहस्य

खाटू श्याम मंदिर के निकट स्थित इस पवित्र कुंड के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह वही स्थान है जहां महाभारत काल में बर्बरीक का शीश प्रकट हुआ था। भक्त इस कुंड में स्नान करते हैं और खाटू जी की पूजा करते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस कुंड में स्नान करने से भक्तों को पुण्य मिलता है, पापों से मुक्ति मिलती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।


श्याम कुंड की मान्यताएं

शीश दान की भूमि: कहा जाता है कि इसी स्थान पर बर्बरीक ने भगवान कृष्ण की इच्छा पर अपना शीश दान किया था, जिसके कारण उन्हें ‘शीश के दानी’ के नाम से जाना जाता है।


अखंड जल स्रोत: यह माना जाता है कि कुंड का पानी कभी समाप्त नहीं होता, क्योंकि यह पाताल लोक से आता है।


शीश का प्रकटीकरण: श्याम कुंड वही स्थान है जहां बर्बरीक का शीश प्रकट हुआ था, जिससे इसका नाम ‘श्याम कुंड’ पड़ा।


चमत्कारी स्नान: भक्तों का मानना है कि कुंड में स्नान करने से सभी प्रकार के पाप और रोग दूर हो जाते हैं।


संतान सुख: कुछ भक्तों का मानना है कि इस कुंड में स्नान करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।


घर ले जाने योग्य जल: यहां आने वाले भक्त कुंड का जल बोतलों में भरकर अपने घर ले जाते हैं, क्योंकि इसे घर में छिड़कने से बुरी शक्तियां दूर होती हैं।


कैसे प्रकट हुआ शीश?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्याम कुंड पहले एक प्राचीन खेत था जहां एक गाय रोजाना दूध देती थी। जब लोगों ने इसकी खुदाई की, तो उन्हें 30 फीट नीचे बर्बरीक का शीश मिला। तभी से इस कुंड में स्नान करना पुण्यदायी माना जाता है।