शेख हसीना की सजा: भारत में क्या होगा?
ढाका में हिंसा और शेख हसीना का पलायन
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हाल ही में हुई हिंसा में सैकड़ों छात्रों की जान गई और हजारों लोग घायल हुए। इस स्थिति के चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़कर भारत में शरण ली। उन्हें मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है। यह सजा बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) द्वारा दी गई है। अब यह सवाल उठता है कि क्या भारत उन्हें बांग्लादेश को सौंपेगा और क्या इस सजा का भारत में कोई कानूनी प्रभाव पड़ेगा?
छात्र आंदोलन और सरकार का पतन
2024 में बांग्लादेश में आरक्षण नीति के खिलाफ शुरू हुआ छात्र आंदोलन तेजी से एक बड़े बगावत में बदल गया। रिपोर्टों के अनुसार, इस आंदोलन में 1,200 से 1,400 लोगों की मौत हुई और 20,000 से अधिक लोग घायल हुए। इस दौरान 8,000 से ज्यादा छात्रों को गिरफ्तार किया गया और सोशल मीडिया पर 23 दिन का ब्लैकआउट रहा। इसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने बांग्लादेश का सबसे बड़ा नागरिक विद्रोह बताया।
ICT-1 का फैसला और शेख हसीना की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश के International Crimes Tribunal-1 (ICT-1) ने 17 नवंबर को शेख हसीना को तीन आरोपों के तहत मौत की सजा सुनाई। इनमें प्रदर्शनकारियों पर हवाई हमले की अनुमति देना, शहरी क्षेत्रों में एयर-टार्गेटिंग ऑपरेशन का आदेश देना और मानवाधिकारों का उल्लंघन शामिल हैं। हसीना ने इस फैसले को राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम बताया और इसे एक पक्षपातपूर्ण अदालत का फैसला करार दिया।
भारत में कानूनी स्थिति
भारत में विदेशी अदालतों द्वारा दी गई सजा तब तक लागू नहीं होती जब तक कि भारतीय अदालत इसे स्वीकार न करे। इसका मतलब है कि शेख हसीना पर ICT-1 की मौत की सजा का कोई प्रभाव नहीं है।
क्या UN इस सजा को लागू कर सकता है?
ICT-1 एक घरेलू अदालत है और UN केवल ICC और ICJ के फैसलों को लागू कर सकता है। इसलिए, UN भारत को शेख हसीना को सौंपने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
भारत का प्रत्यर्पण कानून
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है, लेकिन भारत का कानून कुछ सुरक्षा शर्तें लागू करता है। अगर राजनीतिक प्रतिशोध का खतरा हो या निष्पक्ष सुनवाई की गारंटी न हो, तो प्रत्यर्पण रोका जा सकता है।
बांग्लादेश की संभावित प्रतिक्रियाएँ
अगर भारत शेख हसीना को नहीं सौंपता है, तो बांग्लादेश कूटनीतिक दबाव डाल सकता है और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में शिकायत कर सकता है। लेकिन भारत के पास भी कानूनी सुरक्षा दीवारें हैं, जैसे मानवाधिकार शील्ड और राजनीतिक उत्पीड़न खंड।
भारत का संभावित रास्ता
भारतीय विदेश नीति विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के पास तीन संभावित विकल्प हैं: शरण जारी रखना, मानवाधिकारों का हवाला देकर प्रत्यर्पण से इनकार करना, या शर्तों के साथ प्रत्यर्पण करना। इन सभी विकल्पों में एक बात समान है: शेख हसीना की सुरक्षा अब भारत की कूटनीतिक रणनीति पर निर्भर करती है।
